मुझे आदमी का सड़क पार करना
हमेशा अच्छा लगता है
क्योंकि इस तरह
एक उम्मीद - सी होती है
कि दुनिया जो इस तरफ है
शायद उससे कुछ बेहतर हो
सड़क के उस तरफ। -केदारनाथ सिंह
Saturday, September 05, 2009
आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है
एक दिन कहने लगा मुझसे गगन का चांद यूं, आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है। उलझने अपनी बनाकर आप ही फंसता, और फिर बेचैन हो जगता न सोता है।।
बहुत सुन्दरता पूर्ण ढंग से भावनाओं का सजीव चित्रण... बधाई स्वीकारें।
आप के द्वारा दी गई प्रतिक्रियाएं मेरा मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन करती हैं। आप के अमूल्य सुझावों का 'मेरी पत्रिका' में स्वागत है... Link : www.meripatrika.co.cc
4 comments:
बेमिसाल पंक्तियाँ..वाह
नीरज
बहुत सुन्दरता पूर्ण ढंग से भावनाओं का सजीव चित्रण... बधाई स्वीकारें।
आप के द्वारा दी गई प्रतिक्रियाएं मेरा मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन करती हैं।
आप के अमूल्य सुझावों का 'मेरी पत्रिका' में स्वागत है...
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बहुत खूब
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
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