Saturday, August 22, 2009

असमानताओं में समानता खोज रहे हैं पिता

असमानताओं में समानता खोज रहे हैं पिता,
समानताओं के लिए वे टीवी देखते हैं, धारावाहिकों में खोते हैं।

वे असमानताओं में भी समानताओं की थोड़ी गुंजाइश खोज रहे हैं,
वे क्लासिक से मॉर्डन बन रहे है।

जिंदगी जब कभी अहसास देती कि सबकुछ बदल रहा है,
वे भी बदलाव के लिए कदम बढ़ाते हैं।

बदलने में अब उन्हें डर नहीं लगता और न ही अहं सामने आता
वे अब असमानता-समानता की खाई पाटना चाहते हैं।

किताबों से पहला प्यार टीवी की सेट और मॉल के एंट्री गेट पर आकर रूक जाता है,
वहीं रिमोट के बटन कलर्स चैनल के धारावाहिकों को खोजने लगते हैं।

महानगर के छोटे घर में भी वे ड्योढ़ी खोजते हैं,
अभी मिले या न मिले पर उन्हें भरोसा है
कि उनकी जीत होगी और नए लोगों के साथ वे भी मार्डन हो जाएंगे।