Monday, January 19, 2009

सल्मडॉग मिलेनियर को बेहतर जाना आवारा हूँ कहने वाले मिहिर ने

दोस्त मिहिर से मेरी शिकायत रहती है - वह कम लिखता है लेकिन यह भी सच है, वह जब भी लिखता है तो मन कह उठता है- 'जय हो '
deewan@sarai.net से उसका मेल आया -सल्मडॉग मिलेनियर: बॉलीवुड मसाले का फ़िरंगी तड़का। बोले तो ’जय हो!’

पढ़कर मैं यही कह सकता हूँ - सल्मडॉग मिलेनियर को बेहतर जाना आवारा हूँ कहने वाले मिहिर ने , आप इसे http://www.mihirpandya.com/ पर पढ़ सकते है।
कुछ दिन पहले ही उसे मेल किया था यार आवारा हूँ पर कुछ क्यूँ नही लिख रहे हो ? तो उसने भाया मेल उत्तर दिया -
शुक्रिया साथी याद करने का,

जी क्या करें, एम. फ़िल. थिसिस लिखने में इतना मसरूफ़ रहे कि इस रस्ते आना ही नहीं हुआ एक महीना. अब थिसिस जमा करवा दिया है और कुछ मुक्त हैं इस दुनियादारी से. जल्द ही ’आवारा हूँ’ पर नई आमदरफ़्त होगी. अब इंतज़ार की घड़ियाँ थोड़ी हैं!
...मिहिर.

एकबार फिर शुक्रिया दोस्त इंतज़ार की घड़ियाँ थोड़ी से समाप्त करने के लिए ।
जय हो आपकी !
गिरीन्द्र

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