Friday, December 12, 2008

शुक्रिया कहना चाहता हूँ सर


आप मानें या न माने , लेकिन मेरे लिए यह एक बड़े पुरस्कार की तरह है। बुधवार के हिंदुस्तान अख़बार में रवीश कुमार ने इस ब्लॉग की तहे -दिल से चर्चा की।

मैं इसे अपने लिए ''वर्ष का पुरस्कार'' मानता हूँ और रवीश से बस यही कहना चाहता हूँ - '' शुक्रिया कहने की इजाज़त चाहूँगा सर ............ ''

4 comments:

azdak said...

और हमारा आशीर्वाद कुच्‍छौ नहीं? इसीलिए न ससुर, गांव में भवन बन जाता है लेकिन म्‍यूजियम नहीं.. बिहार के लोग मिथिला पेंटिंग, कलात्‍मक डेंटिंग का एतना ही आदर कर पाते हैं..

संजीव कुमार said...

congrutulation. lage raho.

इन्दु पुरी said...

ब्लॉग को फोल्लो कैसे करू?कहीं आप्शन ही नही दिखा. हा हा हा कोई बात नही.बधाई कि ब्लॉग की चर्चा हिअख्बारो में भी.बंधू! बेशक चर्चा करने जैसा ब्लॉग है.पुराना आई डी ब्लोक हो जाने के कारन सब .....गायब हो गए और मुझसे दूर भी.ये तो भला हो बुक मार्क करके रखा था इसलिए यहाँ तक पहुँच पाई.हूँ न अक्लमंद हा हा हा जरा मंद मंद चलती है अक्ल मेरी.
क्या करू?ऐसिच हूँ मैं तो हा हा हा

Anonymous said...

शुक्रिया इंदू जी