Monday, March 10, 2008

हिंदुस्तान में दो दो हिंदुस्तान दिखाई देते हैं - गुलज़ार



आज गुलजार की नज़र से हिंदुस्तान को देखिये -


हिंदुस्तान में दो दो हिंदुस्तान दिखाई देते हैं
एक है जिसका सर नवें बादल में है

दूसरा जिसका सर अभी दलदल में है
एक है जो सतरंगी थाम के उठता है

दूसरा पैर उठाता है तो रुकता है
फिरका-परस्ती तौहम परस्ती और गरीबी रेखा

एक है दौड़ लगाने को तैयार खडा है
‘अग्नि’ पर रख पर पांव उड़ जाने को तैयार खडा है

हिंदुस्तान उम्मीद से है!
आधी सदी तक उठ उठ कर हमने आकाश को पोंछा है

सूरज से गिरती गर्द को छान के धूप चुनी है
साठ साल आजादी के…

हिंदुस्तान अपने इतिहास के मोड़ पर है

अगला मोड़ और ‘मार्स’ पर पांव रखा होगा!!
हिन्दोस्तान उम्मीद से है..

3 comments:

Kaput bhatkav said...

गिरीन्द्र जी ये तो बहुत सटीक बात आपने कही

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया रचना प्रस्तुत की है।बधाई\

अमिताभ मीत said...

कमाल की पेशकश. बहुत ही उम्दा .... शुक्रिया पहुंचाने का.