Saturday, October 26, 2024

गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा और सीमांत जिले का सच!

बिहार इन दिनों एक यात्रा को लेकर चर्चा में है. यात्रा के सारथी केंद्र में मंत्री हैं, सत्ताधारी दल के नेता हैं लेकिन यात्रा में पार्टी का सिम्बल नहीं है! जी हां, यह कहानी गिरिराज सिंह की है, यह कहानी उनकी ' हिन्दू स्वाभिमान यात्रा' की है. 
Giriraj Singh गिरिराज बिहार के उस इलाके से हिन्दू स्वाभिमान यात्रा निकाल रहे हैं जहां पिछले चार दशक में डेमोग्राफिक में चेंज देखने को मिला है. यह सीमांचल का इलाका है, जो अपने आप में बेहद खास है. फोर लेन सड़कों के जाल से इस क्षेत्र में विकास की गति को तेजी मिली है, लेकिन इस तेजी से ज्यादा यहां की जनसंख्या वृद्धि है. 

भागलपुर, कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज जिले में जनसंख्या वृद्धि सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से समानुपातिक नहीं है. लोग-बाग इसकी सबसे बड़ी वजह जन्म दर के अलावा बांग्लादेशी घुसपैठ, रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ और नेपाल के साथ खुला बॉर्डर को मानते हैं. इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि सीमांचल में तेजी से मुस्लिम आबादी बढ़ी है. 

सीमांचल में मुस्लिम जनसंख्या 

सीमांचल के अलग-अलग जिलों में जितनी भी नई बसावट है, इसमें समुदाय विशेष की जनसंख्या देखने को मिल रही है. सीमांचल के चार जिले किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया में मुस्लिम जनसंख्या की मौजूदा स्थिति का आंकड़ा किसी से नहीं छुपा है.

गिरिराज सिंह भाजपा के फायरब्रैंड नेता माने जाते रहे हैं और उनके बयान कई बार पार्टी के लिए मुश्किल लेकिन भाजपा के कट्टर समर्थकों के लिए बेहद आकर्षक होते हैं. गिरिराज सिंह की स्वाभिमान यात्रा 18 अक्टूबर को भागलपुर से शुरू हुई है. उन्होंने इस दौरान दावा किया था कि उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में हाल में हुई सांप्रदायिक हिंसा हिंदुओं के सामने मौजूद खतरे का सबूत है और देश में बहुसंख्यक होने के बावजूद उन्हें संगठित होने की जरूरत है.

पार्टी है साथ, पर मुखरता से नहीं  

यात्रा से पहले गिरिराज सिंह ने संवाददाताओं से कहा था, 'यह यात्रा मेरी पार्टी द्वारा आयोजित कार्यक्रम नहीं है. मैं हिंदू के रूप में पैदा हुआ हूं और हिंदू के रूप में ही मरूंगा और इसलिए, मेरा कर्तव्य है कि मैं यह सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयास करूं कि मेरा समुदाय सुरक्षित रहे.'

 भाजपा ने भी इस यात्रा से खुद को आधिकारिक तौर पर दूर रखा है, लेकिन यह एक 'ओपन सीक्रेट' है कि बिना सांगठनिक समर्थन और सहयोग के इतनी भीड़ और तामझाम का होना संभव नहीं है. भाजपा को दरअसल राज्य में और केंद्र में सरकार भी चलानी है और उसके लिए नीतीश कुमार का समर्थन बेहद महत्वपूर्ण है. नीतीश कुमार भाजपा के साथ लगभग दो दशक से हैं, लेकिन अपनी 'धर्मनिरपेक्ष' छवि से समझौता नहीं किया है.

 इसके अलावा बिहार भाजपा में जो आपसी कलह है, जितने नेता उतने गुट हैं, उसकी वजह से भी केंद्रीय नेतृत्व खुलकर गिरिराज को अपना आशीर्वाद नहीं दे सकता था. इसलिए, बीच का रास्ता निकाला गया है और पार्टी ने 'वेट एंड वॉच' की नीति अपनायी है. अगर सीमांचल में गिरिराज की यात्रा का हिंदुओं पर प्रभाव पड़ा तो भी हाथों में लड्डू और अगर नहीं पड़ा तो पार्टी अपना पल्ला आधिकारिक तौर पर झाड़ ही चुकी है. 

गिरिराज 19 अक्टूबर को वे कटिहार पहुंचे थे. हालांकि उनकी यात्रा से भाजपा के बड़े नेता दूर दिखे लेकिन भीड़ बड़ी थी. पूरा शहर भगवा रंग में डूबा रहा दिन भर! फिर वे कटिहार से पूर्णिया निकल लिए. 20 अक्टूबर को पूर्णिया, 21 अक्टूबर को अररिया और 22 अक्टूबर को किशनगंज पहुंच कर उनकी यात्रा का समापन होगा. उनकी यात्रा का रंग देख कर यह साफ तौर पर कहा जा सकता है कि हिन्दुओं को संगठित करने के उद्देश्य से उन्होंने यात्रा का प्लान बनाया है.

भाजपा की बंटी हुई है राय

यहां यह भी गौर करने की बात है कि गिरिराज सिंह की यात्रा पर भाजपा बंटी हुई दिख रही है. लेकिन उनकी ही पार्टी का एक तबका इस यात्रा की तारीफ कर रहा है. कुछ तो मौन रूप से समर्थन भी कर रहे हैं. पूर्णिया- कटिहार सीमा पर भाजपा के एक विधायक ने तो स्वागत द्वार भी लगाया है. वहीं दूसरी ओर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल कहते हैं कि यह गिरिराज सिंह की यात्रा है, भाजपा की नहीं है. जायसवाल यह भी कहते हैं कि गिरिराज सिंह की यात्रा से नीतीश कुमार की सेक्युलर छवि को कोई नुकसान नहीं होगा. नीतीश की सेक्युलर इमेज के साथ हर वक्त दिलीप जायसवाल खड़े हैं. इसलिए इससे किसी को घबराने या परेशान होने की जरूरत नहीं है. 

गिरिराज अपनी यात्रा का समापन अपने प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के गृह जिले किशनगंज से कर रहे हैं, इस राजनीतिक इशारे को भी समझने की जरूरत है. क्या यह भाजपा का मौन समर्थन तो नहीं है गिरिराज के नाम! 

दूसरी तरफ नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार शुरू से ही गिरिराज सिंह की यात्रा पर सवाल उठा रहे हैं. उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि इस यात्रा से जेडीयू का कोई लेना-देना नहीं है. नीरज कहते हैं कि बिहार की सरकार सीमांचल में हिंदू-मुसलमान के लिए एक जैसा काम करती रही है. नीतीश कुमार इसी वजह से ग्लोबल लीडर हैं. वे जनता से सीधे संवाद करते हैं. हमें संविधान यह शपथ दिलाता है कि जाति-धर्म के आधार पर काम न करें. उन्होंने गिरिराज सिंह पर तंज कसते हुए कहा कि एक हाथ में हिंदू स्वाभिमान यात्रा ले लीजिए और दूसरे हाथ में संविधान की शपथ के कागजात रख कर यात्रा पर निकलिए तो अच्छा रहेगा.

मीडिया की सुर्खियां हैं बोनस 

भाजपा के फायर ब्रांड नेता माने जाने वाले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह अपने हिंदू स्वाभिमान यात्रा को लेकर मीडिया में भी छाए हुए हैं. गिरिराज सिंह की यात्रा विशेष करके सीमांचल के जिलों में सुर्खियों में है. अगले कुछ दिनों तक सीमांचल की राजनीति गरमायी रहेगी. 

वहीं राजद समेत पूरा विपक्ष गिरिराज सिंह व भाजपा के ऊपर इस यात्रा को लेकर हमलावर है. गिरिराज सिंह पर सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश करने का आरोप है, जबकि गिरिराज सिंह का कहना है कि वो दंगा करवाने नहीं बल्कि दंगा रोकने ये यात्रा कर रहे हैं. 

केन्द्रीय मंत्री के इस यात्रा के मीडिया कवरेज पर गौर करने पर पता चलता है कि वे जिहाद शब्द का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं. वे थूक जिहाद, लैंड जिहाद और शिक्षा जिहाद के बारे में लोगों से बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "मेरे बेगूसराय में शिक्षा जिहाद का उदाहरण हाल में आपने देखा होगा. शिक्षक विद्यालय में पढ़ा रहे थे कि हनुमान जी मुसलमान थे, अब क्या बचा? लैंड जिहाद किसको कहते हैं देखना हो तो आएं. थूक जिहाद तो आपने सुना ही होगा." 

गिरिराज सिंह ने कहा, "मेरी संस्कृति, धन, धर्म और धरती खतरे में है. इसलिए हम हिंदुओं से ये कहने घूम रहे हैं कि तुम धर्म की रक्षा करो तो धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा.सब मिलकर रहो. संगठित हिंदू सुरक्षित हिंदु... और अगर बंटोगे तो कटोगे… ". हालांकि, गिरिराज सिंह यह भूल जाते हैं कि इसी बिहार के तीन जिलों में दो दिनों पहले दर्जनों लोग जहरीली शराब पीकर मर गए और कई की जान अभी खतरे में है. वे हिंदू खतरे में हैं या नहीं, इस पर गिरिराज नहीं बोलते हैं. 

जिहाद बनाम संगठित हिंदू

कटिहार में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, "जिनको मेरी बात से एतराज हैं मैं उनसे निवेदन करता हूं कि 10 दिन के लिए कटिहार, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज में आकर रहें तब पता चलेगा कि लव जिहाद किसको कहते हैं, पहले केवल लड़कियों का होता था अब लड़को का भी हो रहा है. किसको लैंड जिहाद कहते हैं अगर देखना हो, थूक जिहाद तो सुन ही लिया है, शिक्षा जिहाद भी बेगूसराय में है. मेरी संस्कृति, धन, धरती और धर्म तीनों खतरे में है. इसलिए आज में हिंदूओं से कह रहा हूं 'धर्मो रक्षति रक्षितः' तूम धर्म की रक्षा करो धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा. संगठित हिंदू सुरक्षित हिंदू."

बिहार के सीमांत जिले में गिरिराज की यात्रा से अगर हिन्दू गोलबंद होंगे तो मुसलमान भी ऐसा कर सकते हैं. अभी तक मुसलमानों के वोट असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम और इंडिया ब्लॉक की पार्टियों में बंटते रहे हैं. जेडीयू को भी कुछ वोट जाते रहे हैं. इसका फायदा भाजपा को मिलता रहा है. मुसलमान एकजुट हुए तो उनके वोटों का बंटवारा नहीं होगा और भाजपा के लिए यह नुकसान का सौदा साबित होगा.  

वैसे पर्दे के सामने गिरिराज सिंह की पूरी कवायद निजी दिख रही है, लेकिन इसका राजनीतिक फलक बड़ा हो गया है! गिरिराज के तेवर देख कर लगता है कि भाजपा पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार में मौन रूप से कुछ पका रही है!

(ABP News के लिए यह ब्लॉग लिखा है)

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