Saturday, October 26, 2024

बिहार और नीतीश कुमार

नीतीश कुमार एक बार फिर से लोगों के बीच पहुंचने लगे हैं। शायद विधानसभा चुनाव को लेकर वे खुद को तैयार कर रहे हों! 
इन दिनों नीतीश कुमार सरकारी योजनाओं को लेकर सभा करते हैं, जिसमें सबसे बड़ी भागीदारी जीविका दीदी की होती है। उनके कार्यक्रम में जीविका दीदी बड़ी संख्या में शामिल होती हैं। आप कह सकते हैं कि वे अपनी सभाओं के लिए एक तरह का सिस्टम बना चुके हैं, कोई आए या न आए, जीविका दीदी आयेंगी जरूर!

बुधवार को नीतीश कुमार की एक ऐसी ही सभा में जाना हुआ। कटिहार जिला के बरारी इलाके में नीतीश कुमार आए हुए थे। यह इलाका बाढ़ प्रभावित रहा है। 

यहां उन्होंने विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया। भगवती मंदिर महाविद्यालय (बीएम कॉलेज) मैदान में आयोजित सभा में उन्होंने बंदोबस्त प्रमाण पत्र एवं योजनाओं का लाभ वितरण किया। इस दौरान उन्होंने 450 करोड़ की लागत वाली 183 योजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास भी किया। 

ये तो हुई खबर लेकिन यहां यह भी समझने की जरूरत है कि जब बिहार बाढ़ से जूझ रहा हो, अभी भी जब कई इलाके में लोगबाग बाढ़ की विभीषिका के बाद की स्थितियों से संघर्ष कर रहे हों, उस सूबे के मुख्यमंत्री अपनी सभा लोगों से यह कहे कि 'हमने गलती से दो बार उनको (आरजेडी) अपने साथ लिया था। दोनों ही बार देखा कि गड़बड़ी हुई। अब कभी इधर- उधर नहीं होगा। अब जो है वो कायम रहेगा हर दम के लिए .अब कोई बाएं-दाएं नहीं होगा. ..सिर्फ विकास होगा '

ऐसे में आप बिहार की राजनीति के रंग रूप को समझ सकते हैं। 

नीतीश जी की तबियत को लेकर आए दिन खबरें आती रहती है लेकिन इन सबके बीच आज जब उनकी बातों को सुनने का मौका मिला तो लगा कि राजनीति में कभी किसी को कमजोर न माना जाये, नीतीश अभी भी सबके हैं!

बिहार में चार विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है, ऐसे में नीतीश ने एक जिले में आयोजित सरकारी सभा के बहाने विपक्ष को अपनी बात सुना ही दी कि वह अब 'दाएं-बाएं' नहीं करेंगे।

लम्बे समय से बिहार के मुख्यमंत्री आवास में डेरा जमाने वाले नीतीश कुमार को सुनने देखने के लिए आज भी लोग आ रहे हैं, वह भी अच्छी संख्या में। मैं जिस सभा में गया था, वहां भी 10 हजार से अधिक लोग पहुंचे थे, जबकि सभा स्थल कटिहार जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूर पर स्थित था। जीविका दीदी के अलावे भी ग्रामीण इलाके से लोग आए थे। सरकारी सभा थी, इसलिए पहचान पत्र लिए लोग आए थे लेकिन इसके अलावा भी बाद में भीड़ इकट्ठा हुई। 

नीतीश की सभा में लोगबाग की बातचीत का अलग ही स्वाद होता है। कई लोग खुलेआम नीतीश को 'पलटू राम ' कह रहे थे, कोई कह रहा था कि 'ये कब किधर जाएंगे किसी को पता नहीं '। लेकिन इन सब विशेषणों से नीतीश को नवाजने के बावजूद भी लोग उनकी सभा में आ रहे हैं, यह सोचने वाली बात है। नीतीश के प्रति लोगों का आकर्षण खत्म नहीं हुआ है।
 
नीतीश की यह सभा बिहार के सीमांत इलाके में हुई है, जहां मुस्लिम आबादी मायने रखती है। इस बात को भी नीतीश ने बड़ी बारीकी से पकड़ा और एक बयान दे डाला। उन्होंने कहा - 'अब हिन्दू- मुसलमान झगड़ा होता है क्या? '

नीतीश कुमार की यह टिप्पणी कई मायनों में महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके गठबंधन के एक नेता गिरिराज सिंह हिन्दू स्वाभिमान यात्रा निकाल रहे हैं।

नीतीश की सभा की बात करें तो आपको 
इसमें भाजपा के इवेंट की झलक दिखेगी, जो पहले नहीं दिखता था।टेंट सिटी हो या फिर सुरक्षा का डी सर्कल, यह सबकुछ अनिवार्य तौर पर उनकी सभा में दिखता है। इसके अलावा नीतीश मंच पर अपने प्रिय अधिकारी को भी कुर्सी मुहैया कराते हैं।

गौर करने वाली बात यह है कि नीतीश रैलियों की जगह सभा शब्द का इस्तेमाल करते हैं लेकिन अब उनकी सभा भी बड़े बजट की होने लगी है। टेंट सिटी और मंच का खर्च ही लाखों का होता है।

2015 के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक नारों को लेकर जब काम किया जा रहा था, तब बिहार के कोने कोने में चिपकने वाले पोस्टर में यह वाक्य पढ़ने को मिलता था- ' फिर एक बार नीतीश कुमार '

इस वाक्य को नीतीश ने बिहार के माथे पर मानो चिपका दिया है। आज भी बिहार की राजनीति में आप नीतीश के बिना सत्ता की कुर्सी नहीं देख सकते हैं, उनकी सभा में लोगों की भीड़ और मानसिकता तो इसी तरफ इशारा करती है, भले ही बिहार बाढ़ से जूझ रहा हो या फिर ग्रामीण इलाकों में निर्माण के नाम पर लाखों करोड़ों की लूट हो रही हो!

[ ABP News के लिए यह ब्लॉग लिखा है।]


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