Monday, July 06, 2020

मन का बादल

रेडियो से आवाज़ आ रही थी “लंबी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है...”बाहर कुछ रोशनी दिख रही थी, लेकिन मेघ में बादलों ने डेरा जमा लिया था. 

दीप और मोमबत्ती ने अहाते के अंधकार को हर लिया था. अंधकार को हराने की ताक़त दीप में होती है, भरोसा था कि देर तक रोशनी रहेगी लेकिन अचानक बारिश शुरू हो जाती है और एक झटके में अंधकार फिर से अहाते को अपने आग़ोश में ले लेता है लेकिन मन के भीतर अभी भी दीप की रोशनी थी. मन को हराना कोई आसान काम थोड़े ही है. 

बाहर बारिश और कमरे के भीतर मन से बातचीत. आसपास कोई नहीं, लेकिन स्मृति की किताब  का पन्ना बार-बार कुछ याद दिला रहा था. 

मन के भीतर लोगों की आवाजाही बढ़ने लगी. हर कोई हालचाल पूछ रहा था. कुछ चेहरे पहचाने लग रहे थे तो कुछ एकदम नए. 

तेज़ बारिश के संग हवा का भी ज़ोर था. कुछ लोग बारिश की बात कर रहे थे तो कुछ धनरोपनी की. अचानक आँख खुलती है, कमरे में ख़ुद को अकेला पाता हूं. एकांत कभी-कभी परेशान भी करता है, जो कुछ लोग कभी आते थे, उनका रास्ता बदल चुका है लेकिन अपनी पगडंडी वही है.

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