Monday, September 21, 2015

एक किसान की चुनावी डायरी-1

बिहार चुनावी मूड में आ चुका है। हर दल लगभग सीटों का एलान कर ही चुकी है। रूठने-मनाने का दौर चालू है। और शायद चालू ही रहेगा। इस बीच चौक - चौराहों की बोली-बानी अब मुझे खींचने लगी है। सीमांचल में टिकट बंटवारे को लेकर राजग में जो हो-हल्ला हुआ है उसका लाइव नजारा बाजारों में देखने को मिलता है। कल दरभंगा-मधुबनी गया तो वहां की भी बोली -बानी ऐसी ही थी।

खेमे में बंटे लोग पॉलीटिकल- ज्ञान बांच रहे हैं। कोई कहता है कि अब सुशील मोदी की चलती ही नहीं है। यदि चलती तो पूर्णिया से दिवंगत राजकिशोर केशरी की पत्नी को फिर टिकट मिलता या फिर फारबिसगंज से फणीश्वर नाथ रेणु के बेटे पद्मपराग राय वेणु का टिकट नहीं कटता।

वही हाल धमदाहा विधानसभा क्षेत्र का लग रहा है। राजद छोड़कर भाजपा में आए दिलीप यादव का अंतिम समय में टिकट कट गया और गठबंधन के सहय़ोगी रालोसपा को यह सीट लड़ने के लिए मिल गई। नाटक यह देखिए, रविवार को धमदाहा में लोकजनशक्ति पार्टी के मालिक रामविलास पासवान रैली कर निकल लिए। लोगबाग तो दिलीप यादव को विधायक ट्रिट करने लगे थे :) दरअसल उनकी एसयूवी गाड़ी के काफिले को देखकर। फेसबुक पर किसी ने कहा कि अब उन्हें रालोसपा का प्रचार करना पड़ेगा। राजनीति की विडंबना यही है शायद।

दरअसल चुनावी चिकचिक में बहुत कुछ फिलहाल भाजपा के साथ नहीं दिख रहा है। यहां हर कोई अपना राग अलाप रहा है। विधानसभा चुनाव की बातें गली-मोहल्ले और हाट-बजार में बड़े चाव से की जा रही है। गोल गप्पे और चाट-समोेस की तरह।

कुछ लोग तो यह कह रहे हैं कि इस चुनाव में सबसे बड़ा फायदा लालू यादव को मिलने जा रहा है। उनकी छवि सुधर रही है। लोगबाग जंगलराज का मंत्र नहीं जप रहे हैं अब। उनके बेटे भी अब राजनीति में आ चुके हैं। वहीं कुछ लोग सुशील मोदी के बारे में कह रहे हैं कि एक लॉबी छोटे मोदी को पछाड़ने में लगी है। पार्टी के भीतर पार्टी बन गई है जो सुशील मोदी को चलने नहीं दे रही है। वैसे उनका फेसबुक पन्ना रंगीन बना हुआ है। एक नई तस्वीर अपलोड हुई है जिसमें वे लाल रंग के हेलीकाप्टर पर सवार हैं।

वहीं नीतीश कुमार अब गंभीर होकर  सबकुछ देखते नजर आ रहे हैं। उनके फेसबुक पेज पर विकास और कार्यक्रम आदि की बातें हो रही है।

वैसे अब जैसे जैसे चुनावी तारीख नजदीक आएगी, खेल और भी मजेदार हो जाएगा। इसी बहाने सुरक्षा व्यवस्था जरुर तंदरुस्त हो गई है। पुलिस सतर्क है। लोगबाग गाड़ी के कागजात आदि लेकर यात्रा कर रहे हैं :)

किसान का चुनावी गपशप यूं ही जारी रहेगा। इसी बीच फेसबुक पर किसी ने मेरे  एक पोस्ट पर कमेंट किया है कि "प्रचार कैसेट बनवाने के लिए संपर्क करें" :) मतलब रोजगार के द्वार भी खुल रहे हैं ।

बाद बांकि जो है सो तो हइए है। बारिश हुई है तो मौसम सुहाना तो जरुर हुआ है। धान के खेत हरियर लग रहे हैं।  वैसे लोगबाग यह भी पूछते हैं कि एक रैली में कितना करोड़ रुपया खर्च होता है !

#‎BiharElections2015‬

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