मार्क ने कहा कि मीडिया को शहरों की जगमगाती रोशनी से दूर ग्रामीण भारत की भी तस्वीर पेश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मीडिया के कंधे पर कई जिम्मेदारियां होती हैं, उसमें लोगों को सही राह दिखाना भी एक है। वर्षो तक नई दिल्ली में बीबीसी के ब्यूरो प्रमुख रहे मार्क का मानना है कि कानून और व्यवस्था बनाने में भी मीडिया की अहम भूमिका होती है।
मार्क ने कहा कि मीडिया को ग्रामीण क्षेत्रों की खबरों को प्रमुखता देनी चाहिए और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करनी चाहिए। उन्होंने दिवंगत पत्रकार प्रभाष जोशी को याद करते हुए कहा, "प्रभाष जोशी लड़ने वाले पत्रकार थे। वह भ्रष्टाचार के खिलाफ जमकर लिखते थे। हमें दुख है कि अब देश में लड़ने वाला एक प्रमुख पत्रकार नहीं रहा। "
इंटरनेट का प्रसार और समाचार पत्रों की स्थिति पर मार्क ने कहा, "अखबार कभी नहीं मर सकता है। भले ही इंटरनेट का जाल काफी दूर तक पहुंच चुका है लेकिन अखबार का कोई मुकाबला नहीं कर सकता है। यह सच है कि टेलीविजन के आने से रेडियो की स्थिति खराब हुई लेकिन अखबार के साथ ऐसा कभी नहीं होगा।"
मार्क ने ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सामुदायिक रेडियो की वकालत करते हुए कहा, "सरकार को अधिक से अधिक संख्या में सामुदायिक रेडियो के लिए लाइसेंस जारी करना चाहिए। लोगों को भी सामुदायिक रेडियो शुरू करने के लिए कदम उठाना चाहिए। बड़े शहरों से लोगों को छोटे शहरों और गांवों में जाकर सामुदायिक रेडियो की शुरुआत में हाथ बंटाना चाहिए।"
उल्लेखनीय है कि मार्क को पद्मश्री और पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा ब्रिटेन उन्हें 'सर' की उपाधि से सम्मानित कर चुका है।
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"प्रभाष जोशी लड़ने वाले पत्रकार थे। वह भ्रष्टाचार के खिलाफ जमकर लिखते थे। हमें दुख है कि अब देश में लड़ने वाला एक प्रमुख पत्रकार नहीं रहा। "
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