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मौसम तो जैसा है ठीक ही है
गरमी हो या सर्दी पतझर हो या बरसात
अगर में जग जाऊँ तो अच्छा है
पता नहीं पर दिल्ली में सब सो रहे हैं
यह कैसा अनाम मौसम,पता नहीं वे किसके पैर हैं
जिन्हें दिखता नहीं कहते हैं अमरीका के पाँव दबाए जा रहे हैं
दिल्ली में सब सो रहे हैं
जिन्हें दिखता नहीं कहते हैं अमरीका के पाँव दबाए जा रहे हैं
दिल्ली में सब सो रहे हैं
किसकी यह नींद किसका यह सपना
सोचता काबुलीवाला जागकर
किसी को बताऊँ जो हैरान ना हो,
उनींदे में पुकारता जागते जागते रहो
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