Monday, March 02, 2009

कोसी के तांडव से अमृत भी निकला ...

पिछले वर्ष कोसी के तांडव को हम सबने देखा और भोगा भी। कोसी के प्रलयंकारी बाढ़ ने लाखों लोगों को विस्थापित कर दिया। अब जब प्रभावित इलाकों में जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है तो कुछ सकारात्मक अंतर भी देखने को मिल रहे हैं, हम कह सकते हैं कि कोसी के तांडव से अमृत के कुछ ही सही लेकिन बूंद टपके हैं। जागरण डॉट कॉम के अररिया जिले के संवाददाता की रिपोर्ट से इसकी जानकारी मिली। विभा की भी शिकायत दूर करने की कोशिश कर रहा हं, उसने कहा था कि अंचल की रिपोर्टिंग नहीं हो रही है, तो पढ़िए एक सकारात्मक रिपोर्ट -
गिरीन्द्र

कोसी की बाढ़ ने जो दर्द दिया है उसे दूर होने में भले ही समय लगे, लेकिन कोसी के इलाके में कई हितकारी परिवर्तन भी देखने को मिल रहे हैं। मसलन, विलुप्त हो रहे गिद्धों के झुंड के अलावा कई इलाकों के भूमिगत जल में भी अंतर आया है। साथ ही अररिया जिले की नदी में एक नई प्रजाति की मछली जल कपूर भी आ गई है।

कोसी की बाढ़ का पानी उतरने के बाद अररिया व आसपास के क्षेत्रों के पर्यावरण में कई परिवर्तन देखे जा रहे है। खेतों में सिल्ट डिपाजिट, नई धाराओं का निर्माण, पेड़ों का सूख जाना और कई विषैले जीवों का आगमन तो सदियों से कोसी की बाढ़ के सामान्य कारण रहे है। लेकिन इस बार एक असामान्य बात यह है कि विलुप्त हो रहे गिद्धों के समूह अररिया जिले के नरपतगंज व अन्य इलाकों में देखे जा रहे है।

कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग के कारण गिद्धों में ड्रापिंग हेड सिंड्राम [डीएचएस] नामक बीमारी फैल गई थी। इससे इलाके के सारे गिद्ध चले गए थे। अब कोसी का पानी उतरने के बाद गिद्धों के झुंड देखे जाने से पर्यावरण प्रेमी खुश हैं। हालांकि अब तक वैज्ञानिक तौर पर इन नवागत पक्षियों का अध्ययन नहीं हो पाया है।

वहीं, कोसी की बाढ़ के बाद इलाके के पेयजल में भी परिवर्तन की बात लोग बता रहे है। नरपतगंज व अगल-बगल के गांवों में पीने का पानी अत्यधिक लौहयुक्त व बेस्वाद था। लेकिन अब नरपतगंज बाजार के लोगों ने स्वाद बदलने की पुष्टि की है।

बाढ़ के बाद इस जिले की नदियों में एक खास मछली भी आ गई है। यह है जल कपूर मछली। मछुआरों ने बताया कि जब से कोसी की बाढ़ आई, तभी से यह खास मछली सुरसर नदी में देखी जा रही है।

3 comments:

विनीत कुमार said...

मछली तो कभी खाया नहीं लेकिन नाम सुनकर लग रहा है कि सुखाकर रख लेने से फायदा रहेगा। काहे कि माथा दर्द में काम देगा।

दिनेशराय द्विवेदी said...

हर प्राकृतिक घटना कुछ न कुछ नया देती है।

Unknown said...

bahoot badhiya.......