Wednesday, September 01, 2021

बात पूर्णिया की: उम्मीद भरे दो साल

बात दो साल पहले की है, 2019 की गाँधी जयंती की. उस दिन पूर्णिया जिला समाहरणालय के सभागार में एक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. कार्यक्रम में एक युवा ने सहजता से पुस्तकालय को लेकर सवाल किया था और जिलाधिकारी ने बेहद सादगी से सवाल का जवाब दिया था. जिलाधिकारी ने बड़ी सादगी से कहा कि सबकुछ संघर्ष से हासिल होता है. वे चाहते तो कह सकते थे कि सबकुछ हो जाएगा लेकिन ऐसा उन्होंने नहीं कहा, यही सहजता, सरलता बताती है कि हमें गांधी के और करीब आना चाहिए. जिलाधिकारी ने उस दिन कहा था कि हमें महात्मा गांधी के भीतर की अच्छाइयों के संग उनके चरित्र का सम्यक व निष्पक्ष मूल्यांकन भी करना चाहिए,  तब जाकर ही हम गांधी को लेकर संवाद कर सकते हैं.
हम सूबा बिहार के पूर्णिया जिला से आते हैं, जिसके बारे में कभी कहा जाता था कि यहां की पानी में ही दोष है, बीमारियों का घर. फिर 1934 के भूकम्प के बाद पानी में भी बदलाव आता है और धीरे धीरे सब में बदलाव आने लगता है. लोगबाग बाहर से इस जिले में बसने लगते हैं. लेकिन इसके बावजूद यहां के लिए मैथिली में एक कहावत प्रचलित ही रह गई है - " जहर नै खाऊ, माहुर नै खाऊ , 
मरबाक होय त पुरैनिया आऊ " 

लेकिन वक्त के संग यह इलाका भी बदला. लोग बदले, कुछ अधिकारी आए जिन्होंने इस इलाके के रंग में रंगे लोगों के जीवन को सतरंगी बनाने की भरसक कोशिश की.

देश के पुराने जिले में एक पूर्णिया ने डूकरेल, बुकानन , ओ मैली जैसे बदलाव के वाहकों को देखा है. आईएएस अधिकारी आर एस शर्मा जैसे लोगों को पूर्णिया ने महसूस किया है, जिन्होंने पूर्णिया को रचा. 

कोई भी जिला अपने जिलाधिकारी की वजह से भी याद किया जा सकता है. यह सच है कि अपने कामकाज से यह महत्वपूर्ण पद किसी भी इलाके को बदल सकता है. पूर्णिया के जिलाधिकारी राहुल कुमार  इसके उदाहरण हैं. 

पिछले दो साल से जिलाधिकारी राहुल कुमार के काम काज की वजह से पूर्णिया जिला हमेशा सुर्खियों में रहा है. जिला में लाइब्रेरी कल्चर को जगाने की बात हो या फिर जिला मुख्यालय से सुदूर इलाकों का लगातार दौरा करने की बात हो. 

ऐसी ही एक घटना की अभी याद आ रही है. शनिवार, 18 जुलाई 2020, पूर्णिया जिला में एक साथ चार हजार से अधिक योजनाओं को 100 से अधिक गांव में शुरू किया गया. जिला के 60 अधिकारी अलग अलग ग्रामीण इलाके गए और योजनाओं की शुरुआत की. ऐसे वक्त में जब रोजगार को लेकर हर कोई परेशान है, उस समय एक विशेष अभियान शुरू कर गांव-गांव में रोजगार सृजन करना एक उम्मीद वाली खबर थी.

बिहार के किसी भी जिले के लिए यह एक अनोखा प्रयोग था, जहां एक ही दिन जिलाधिकारी हों या फिर अन्य अधिकारी सीधे गांव पहुंचते हैं और योजनाओं की शुरूआत करते हैं. इस स्पेशल ड्राइव में पंचायत सरकार भवन के शिलान्यास से लेकर सात निश्चय से संबंधित योजनाओं को हरी झंडी दिखाई गई थी.
इन दो सालों में बहुत कुछ बदला है. दो साल पहले तक पूर्णिया जिला स्वच्छता के आंकड़ों में पिछड़ा नजर आ रहा था, ग्रामीण इलाकों में शौचालय निर्माण को लेकर जोश दिख नहीं रहा था, अचानक एक दिन किसी गाँव में कुदाल लेकर शौचालय निर्माण के लिए गड्ढ़ा करते जिलाधिकारी राहुल कुमार दिख जाते हैं, यह सब पहली बार हो रहा था। इसके बाद की कहानी ही अलग है. 

बताते चलें कि पूर्णिया जिला 250 साल का हो चुका है,  इसका एक अर्थ यह भी है कि पूर्णिया के पास ढेर सारे अनुभव होंगे ठीक घर के उस बुजुर्ग की तरह जिसने सबकुछ आंखों के सामने बदलते देखा है. ऐसे में पूर्णिया को अपनी कहानी सुनानी होगी, अपने उस दर्द को बयां करना होगा जब 1934 में आए भूकंप में सबकुछ तबाह हो गया था लेकिन पूर्णिया फिर से उठ खड़ा हुआ.

हालांकि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी की वजह से सबकुछ थम सा गया है लेकिन हम बेहतर कल की उम्मीद कर ही सकते हैं. कोरोना के समय में भी राहुल कुमार की सक्रियता की हर जगह तारीफ हो रही थी. उस कठिन वक्त में जब देश के अलग-अलग हिस्सों में काम करने वाले अपनी माटी की तरफ लौटते हैं, उनके लिए पूर्णिया में कल्सटर में रोजगार का सृजन होता है. शहर के सदर अस्पताल में डेडिकेटेड कोविड हेल्थ केयर सेंटर बनाया जाता है. 

कठिन  से कठिन वक्त में सकारात्मक कार्यों के लिए वे हमेशा एक स्पेस तैयार करते रहते हैं, यही इनकी खासियत है. कल ही एक दिन में पूर्णिया जिला में रिकॉर्ड 96 हजार लोगों का टिकाकरण किया गया. 

इनको जब भी देखता हूँ, बेहतर कल  की उम्मीद ही दिखती है. और चलते-चलते उन्हीं की एक कविता की पंक्ति -
"ठिठक कर आत्मचिंतन कर लेना
हमेशा श्रेयष्कर होता है।
दिशा भाषा की हो
या कि ज़िन्दगी की,
अनियंत्रित ठीक नहीं होती।"

('तद्भव' के जून 2016 अंक में प्रकाशित कविता।)


6 comments:

दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 02-02-2021 को चर्चा – 4175 में दिया गया है।
आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क

Roshan Singh said...
This comment has been removed by the author.
Roshan Singh said...

राहुल सर ऐसा काम ही करते हैं कि जहां जाएंगे वहां उनका नाम अमर हो जाएगा👍🙏

मन की वीणा said...

एक पुरुषार्थी समर्पित व्यक्तित्व पर गहन प्रकाश डालता सुंदर लेख।

Avanish's Diary said...

उनकी इन्हीं सब चीजों के कारण वह जहां भी रहते हैं अपनी अलग पहचान बना लेते हैं और सबके आंखों के तारे बन जाते हैं ऐसे अनेकों उदाहरण अब तक के उनके कैरियर में देखने को मिलता है|

Global Institute of Business Studies | Bangalore said...

Great Work. Best PGDM College in Bangalore