Monday, October 12, 2015

एक किसान की चुनावी डायरी- 15

स्मृति ईरानी से मिले हैं आप ?  त्रिवेणीगंज में जब हम रुके थे तो फल की दुकान पर एक महिला ने यह सवाल किया था। हमने कहा कि आप स्मृति ईरानी को कैसे जानती हैं। उन्होंने बताया कि वह स्मृति ईरानी को टीवी सीरियल के कारण पहचानती हैं। अब तो वह चुनाव प्रचार भी करती हैं। उमा नाम की उस महिला ने हमें बताया कि पहले वह स्मृति ईरानी का सीरियल देखती थी अब तो वह केंद्र में मंत्री भी हैं।

बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान स्मृति ईरानी अक्सर कहती हैं कि किसी के घर लक्ष्मी मां 'कमल' पर ही बैठकर आती हैं न कि 'तीर' और 'लालटेन' पर बैठकर आती हैं। उनकी बातों पर लोगबाग चर्चा करते मिले।

जदिया में जहां पटसन की खेती अधिक होती है वहां लोगबाग नीतीश कुमार की तारीफ करते दिखे। वजह भी है, यहां सड़क अब बहुत अच्छी है। कभी इस इलाके से गुजरने में भय लगता था लेकिन अब आप देर रात भी गुजर सकते हैं। यहीं एक किसान अजय मंडल मिलते हैं। उन्होंने कहा कि इस बार पटुआ अच्छा हुआ है अब
देखते हैं कि चुनाव कैसा होता है। वैसे सरकार जिसकी बने बिहार में काम होता रहेगा। देखिए न ट्रक सब कितना गुजरता है रास्ता से, सब में गिट्टी –बालू भरा रहता है।

एक बात जो साफ नजर आती है कि लोगबाग विकास की बात कर रहे हैं लेकिन नेता सब विकास के इतर बदजुबानी पर उतर आए हैं। जदिया बाजार में भी लोगों से बातचीत कर हमें यही मिला। वहीं सिमराही बाजार में एक युवक से हमारी मुलाकात होती है। बातचीत से पता चल कि वह संघ से प्रभावित हैं। नाम न
छापने की शर्त पर उस युवक ने बताया कि इस बार इस इलाके में आरएसएस सक्रिय है। उन्होंने बताया कि सभी जिले में संघ के वरिष्ठ लोग तैनात हैं। खासकर उऩ इलाकों में जहां लोकसभा चुनाव में भाजपा पिछड़ गई थी।

इस संबंध में जब हमने अपने पत्रकार साथी से बात की तो उन्होंने भी इसकी पुष्टि की। उन्होंने बाताया कि बिहार चुनावों से पहले जुलाई और सितंबर के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 35 फीसदी आरएसएस के कार्यकर्ताओं में बढ़ोत्तरी हुई है। यही नहीं लगातार नये लोगों का संघ से जुड़ने का सिलसिला जारी है।

संघ के अधिकारी जो बिहार में तैनात हैं उनका कहना है कि मोदी की बिहार में रैलियों का असर युवाओं पर देखने को मिल रहा है। लोगों से बातचीत के दौरान इस तरह की बातें भी सामने आने लगी है।

सरकारी कामकाज को लेकर लोगबाग अभी भी सचेत नहीं हुए हैं। मसलन वह यह नहीं समझ पा रहे हैं कि मुखिया का काम क्या है विधायक का काम क्या है। त्रिवेणीगंज प्रखंड स्थित जदिया इलाके में किसान अजीम रहमानी ने कहा कि उन्हें अबतक वृक्षारोपण के लिए पंचायत से पौधा नहीं मिला है इसलिए वह वोट
नहीं डालेंगे। जब हमने कहा कि यह तो मुखिया का काम है, इस पर अजीम रहमानी ने कहा कि उन्हें इससे कोई मतलब नहीं है।

रहमानी ने बताया कि आप अभी सड़क किनारे हैं तो सबकुछ चकमक लग रहा है, हमारे साथ थोड़ा अंदर चलिए। ऐसे कई गांव हैं जो विकास से दूर हैं। जहां बिजली नहीं है, सड़क नहीं है, पुल नहीं है। बांस से बने चचरी पुल से वे गांव तक पहुंचते हैं। लोगों से लगातार बात करते हुए बिहार के कई चेहरे दिखने लगे हैं। हर किसी की बात सुनकर ही विकास का राग अलापा जाना चाहिए।


उधर, विभिन्न दलों के नेताओं की बयानबाजी सोशल नेटवर्क पर भी जारी है। लालू यादव ने गया के बेलांगज में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि फांसी पर चढ़ जाउंगा लेकिन आरक्षण खत्म नहीं होने दूंगा. लालू के इस बयान पर कभी  उनके ‘हनुमान’ कहे जाने वाले रामकृपाल यादव ने ट्वीट किया है कि
राबड़ी भाभी लालू जी को समझाइए न, काहे जान देने पर तूले हुए हैं. रामकृपाल ने कहा आगे लिखा है कि अतिपछड़ा प्रधानमंत्री है आरक्षण कभी खत्म होने नहीं होगा.

स्मृति इरानी, त्रिवेणीगंज, जदिया, आरएसएस और फिर रामकृपाल यादव के ट्विट की कहानी बिहार के चुनावी सफर की बानगी भर है। पहले चरण के लिए मैदान तैयार है अब सबकुछ वोटर के हाथ में है। बाद बांकी जो है सो तो हइए है।

1 comment:

जसवंत लोधी said...

बहुत बडिया लेख है ।Seetamni. blogspot. in