Thursday, August 07, 2008

'बकरवाल' जनजाति के बच्चों के लिए 'यह नई दुनिया है'


एक अनुभव .......बच्चों से मिलकर


जम्मू कश्मीर इन दिनों जहां अमरनाथ भूमि आवंटन विवाद की आग में झुलस रहा है, वहीं घाटी के सरकारी विद्यालयों के कुछ बच्चे पहली दफा बाहरी दुनिया से रूबरू होने नई दिल्ली आए हैं। 'बकरवाल' जनजाति के ये बच्चे जहां पहली बार कंप्यूटर की दुनिया से परिचित हुए, वहीं नौ अगस्त को ये सभी राष्ट्रपति से भी मुलाकात करेंगे।



राजौरी, द्रास और उधमपुर के विभिन्न सरकरी विद्यालयों के कुल 22 बच्चे गुरुवार को दक्षिण दिल्ली के बसंतकुंज स्थित ब्लूम पब्लिक स्कूल पहुंचे और यहां के बच्चों के साथ पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद का भी मजा उठाया। यात्रा में शामिल कई ऐसे बच्चे थे जिन्होंने पहली बार बॉलीबाल खेला। इन सभी बच्चों को सेना के 'द्रास गनर्स' ने यहां लाया है।



उल्लेखनीय है कि 'बकरवाल' जनजाति के लोग घाटी में भेड़ और बकरी चराते हैं और यही उनकी जीविका का मुख्य साधन भी है। राजौरी के सरकारी विद्यालय में सातवीं कक्षा में पढ़ाई करने वाले तालिब हुसैन ने कहा कि दिल्ली में स्कूली बच्चों के साथ मिलकर उन्हें काफी मजा आया।



हुसैन ने कहा कि घाटी में पढ़ाई का ऐसा माहौल नहीं है, जैसा राजधानी में है। उसने कहा, "यह हमारे लिए एक नई दुनिया है।" घाटी में मौजूदा स्थिति पर इन बच्चों ने गहरा असंतोष व्यक्त किया।
बच्चों की इस यात्रा का नाम 'सद्भावना यात्रा' रखा गया है। यह यात्रा एक अगस्त से शुरू हुई है और 18 अगस्त को समाप्त होगी।


यात्रा नई दिल्ली के बाद जयपुर और जालंधर पहुंचेगी। इस अनोखी यात्रा के आयोजक मेजर अखिल खन्ना ने आईएएनएस को बताया, "हमारा प्रयास है कि ये बच्चे घाटी के बाहर की दुनिया को देखें और साथ ही उनके साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ें। हम इन्हें जहां विभिन्न स्कूलों में ले जाएंगे वहीं इन्हें मल्टीप्लेक्स की दुनिया से भी परिचित कराएंगे।"



खन्ना ने बताया कि जब ये बच्चे घाटी पहुंचेंगे तो अपने अनुभवों को वहां के बच्चों में बांटेंगे, इससे सभी बच्चों का विकास होगा। यात्रा में शामिल कक्षा छह के छात्र मोहम्मद रूबानी ने बताया कि उसने जब पहली बार कंप्यूटर की-बोर्ड पर हाथ फेरा तो उसे जो आनंद प्राप्त हुआ, उसे वह बयान नहीं कर सकता है। ऐसे कई अनुभवों को इन बच्चों ने ब्लूम पब्लिक स्कूल में प्राप्त किया।
विद्यालय के प्रधानाचार्य ए.बट्ट ने बताया कि उन्हें घाटी के बच्चों को स्कूल में आमंत्रित कर खुशी हुई है। उन्होंने कहा कि इससे उनके विद्यालय के छात्रों को भी काफी कुछ नया सीखने को मिला है।

1 comment:

आशीष कुमार 'अंशु' said...

अच्छी जानकारी गिरीन्द्र, इसे जारी रखो. शुभकामनाएं