Monday, October 08, 2007

पहले पन्ने पर राजनीति ज्यादा, शिक्षा-स्वास्थ्य गौण

अखबारों को लेकर यह रिपोर्ट काफी मायने रखती है। इसे सीएमएस मीडियालैब ने जारी किया है।


आजकल राजनीति व अपराध की खबरें अखबारों के पहले पन्ने के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं. ये खबरें शिक्षा व स्वास्थ्य की खबरों से कई गुना ज्यादा संख्या में हैं. सीएमएस मीडियालैब द्वारा जारी एक ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है. यह रिपोर्ट प्रमुख अखबारों के पहले पन्ने पर छपी खबरों का अध्ययन करके तैयार की गयी है.

रिपोर्ट के अनुसार इस पन्ने पर सबसे ज्यादा संख्या में राजनीति की खबरें छपती हैं. राजनीति के बाद अपराध की खबरों को महत्व दिया गया है जबकि शिक्षा , स्वास्थ्य, अर्थ-व्यवस्था , कृषि-व्यापार व बुनियादी सुविधाएं जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को पहले पन्ने पर बहुत कम प्राथमिकता मिली है.

सीएमएस मीडियालैब ने कहा है कि अध्ययन अवधि में इन अखबारों के पहले पन्ने पर छपी 21.5% खबरें राजनीति की थी वहीं 12% खबरें अपराध से थी. इन दोनों की संख्या मिला दे तो वह पहले पन्ने की खबरों का लगभग एक तिहाई होती है. राजनीति या अपराध की खबर को अलग अलग ही देखें तो ये शिक्षा या स्वास्थ्य की खबरों से दस गुना संख्या में हैं.

दूसरी ओर इस पन्ने पर छपी अन्य गंभीर मुद्दों ( शिक्षा, नागरिक मामले, आर्थिक मामले , स्वास्थ्य, जननिति व शासन, पर्यावरण व वन्य जीवन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, कला-संस्कृति, भ्रष्टाचार, कृषि और मीडिया ) की सभी खबरों को मिला दें तो इनकी कुल संख्या 19% हो पाती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले पन्ने के समाचारों के लिए दोनों भाषाओं के अखबारों की प्राथमिकता लगभग एक जैसी है. अंतर्राष्ट्रीय मामले , राजनीति और सुरक्षा की खबरों की संख्या में दोनों भाषाओं के अखबारों में थोडा-बहुत अंतर है.

सीएमएस मीडियालैब की इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पहले पन्ने पर राष्ट्रीय और प्रादेशिक प्रभाव की खबरों को काफी प्रमुखता दी गयी है वहीं अंतर्राष्ट्रीय और स्थानीय प्रभाव वाली खबरों को बहुत कम प्राथमिकता मिली है.

स्थानीय प्रभाव वाली खबरों के प्रति दोनों भाषाओं के अखबारों की प्राथमिकता में बडा अंतर है. हिन्दी अखबारों ने अंग्रेजी के मुकाबले लगभग दुगुनी संख्या में इन खबरों को छापा. हिन्दी अखबारों के पहले पन्ने पर 15% खबरें स्थानीय प्रभाव वाली थी वहीं अंग्रेजी अखबारों में ये खबरें कुल खबरों का 8% थीं.

रिपोर्ट में बताया गया है कि पहले पन्ने पर दिल्ली और शहरी क्षेत्रों से आयी खबरें हावी हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों से नगण्य संख्या में खबरें छपी हैं. पहले पन्ने पर दिल्ली से आयी खबरों की औसत संख्या कुल खबरों का 61% थी. दूसरी ओर इस दौरान हिन्दी के तीन और अंग्रेजी के एक अखबार ने पहले पन्ने पर ग्रामीण क्षेत्रों से आयी सिर्फ एक एक खबर को छापा.

रिपोर्ट के अनुसार अखबारों के पहले पन्ने पर विश्लेषण और फीचरों की संख्या बहुत कम रहती है. अधिकतर स्पेस में समाचार ही होते हैं. चित्रों का प्रयोग बहुलता के साथ किया जाता है. कई बार खबरों की जगह सिर्फ चित्र छापे जाते हैं.

सीएमएस मीडियालैब राष्ट्रीय मीडिया द्वारा प्रस्तुत खबरों का विश्लेषण करती है. विश्लेषण में यह देखा जाता है कि मीडिया किन खबरों को ज्यादा महत्व दे रही है , किन मुद्दों पर कितना समय या स्पेस दिया जा रहा है और उन खबरों/ मुद्दों को किस तरह प्रस्तुत किया जा रहा है .

इस रिपोर्ट के लिए प्रमुख हिन्दी दैनिकों हिन्दुस्तान , दैनिक जागरण, राष्ट्रीय सहारा व नवभारत टाइम्स और अंग्रेजी दैनिकों हिन्दुस्तान टाइम्स , द टाइम्स ऑफ इंडिया, द हिन्दू और द इंडियन एक्सप्रेस के पहले पन्ने पर छपी खबरों का अध्ययन किया गया.

2 comments:

Anonymous said...

haan aab theeek hai...pahle kuch dikkat aa rahi thee aap ke is post ko padhne me.
Arun

Anonymous said...

saheb aap lakh survey kara lo Media wahi karega jo use suhaega, matlab Bazar....
samajh rahe ho na...
Siddiqee
Kolkata