Monday, December 01, 2025

क्या सीमांचल का चेहरा बनेंगी लेशी सिंह!





बिहार में फिर से नीतीश सरकार बन चुकी है। विधानसभा चुनाव में इस बार छठी बार रिकार्ड मतों से पूर्णिया के धमदाहा सीट से जीतने वाली लेशी सिंह अपने करीब तीन दशकों के सियासी सफर में सातवीं बार बिहार में मंत्री बनीं हैं। वे न केवल पूर्णिया बल्कि पूरे सीमांचल में जदयू की सबसे कद्दावर चेहरा हैं।

इस बार वे पूरे बिहार में सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाले विधायकों में दूसरे स्थान पर रहीं हैं. लेशी सिंह पहली और एकमात्र ऐसी नेत्री हैं जिन्होंने लगातार छठी बार धमदाहा में जीत हासिल की। इससे पहले लक्ष्मी नारायण सुधांशु लगातार चार बार जीते थे। इससे पहले लेशी सिंह सबसे पहले 2000 में समता पार्टी की टिकट से चुनाव लड़ीं और जीत कर आयीं। फिर उन्होंने जदयू प्रत्याशी के रुप में क्रमवार रुप से 2005, 2010, 2015 एवं 2020 में कुल पांच चुनाव जीत कर बिहार में अपनी अलग पहचान बनायी। समता पार्टी के कार्यकाल से ही श्रीमती सिंह की निष्ठा पार्टी के प्रति बरकरार रही है।
अपने राजनीतिक सफर में वे सदैव मुख्यमंत्री के विश्वास पात्रों में एक रही हैं। सहयोगी दलों के नेताओं के साथ आम अवाम से भी उनका संबंध हमेशा बेहतर रहा है। धमदाहा के साथ-साथ पूरे जिले के विकास के प्रति उनका प्रयास उनकी लोकप्रियता का आधार रहा है। यही कारण है कि धमदाहा की जनता ने विपक्ष के तमाम समीकरणों को ध्वस्त कर लेशी सिंह को ताज पहनाया है।

सीमांचल से दो मंत्री बनाए गए हैं। जदयू कोटा से लेशी सिंह और भाजपा कोटा से किशनगंज के दिलीप जायसवाल को मंत्री बनाया गया है। बिहार सरकार में मंत्री पद की हसरत संजोने वाले सीमांचल के अन्य विधायकों को अभी इंतजार करना होगा।  

बिहार की राजनीति में सीमांचल की उपस्थिति को और मजबूत करने के लिए लेशी सिंह और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को प्रमुखता से सामने लाया गया है। खासकर, लेशी सिंह पर एनडीए की खास नजर बनी हुई है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि लेशी सिंह को सीमांचल का चेहरा बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है। दरअसल सीमांचल के 24 विधानसभा सीटों की बागडौर संभालने वाले किसी एक नेता पर एनडीए की नजर बनी हुई है। कभी इस इलाके में तसलीमुद्दीन की तूती बोलती थी।

धमदाहा विधानसभा क्षेत्र से छठी जीत दर्ज करने वाली जदयू की वरिष्ठ नेत्री लेशी सिंह ने गुरुवार को सातवीं बार मंत्री पद की शपथ ली है। सन 1995 में घर की दहलीज लांघ राजनीति में प्रवेश करने वाली मंत्री लेशी सिंह धमदाहा से पहली बार सन 2000 में समता पार्टी से विधायक चुनी गई थी।

धमदाहा विधानसभा क्षेत्र से मिली इस पहली जीत के बाद उनका राजनीतिक सफर लगातार नयी मुकाम की ओर अग्रसर रहा। फरवरी 2005 के चुनाव में वे जनता दल यू से विजयी रही, लेकिन अक्टूबर 2005 के चुनाव में वे पराजित हो गई।

पार्टी ने संगठन के प्रति असीम निष्ठा के चलते उनका कद इससे कतई छोटा नहीं होने दिया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा वर्ष 2007 में उन्हें महिला आयोग की अध्यक्ष मनोनीत किया गया। आयोग के अध्यक्ष के रुप में उनका कार्यकाल काफी सफल रहा और उन्हें पूरे सूबे में अपनी अलग पहचान बनायी।

इससे पूर्व पार्टी की महिला प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष के रुप में भी उन्होंने बेहतर कार्य किया। इसी तरह प्रदेश महासचिव व राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य के रुप में भी उनकी भूमिका सराहनीय रही।

लेशी सिंह भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय की सीनेट सदस्य के रूप में भी अपनी भूमिका का बखूबी निवर्हन किया। वर्ष 2010 के चुनाव में उन्होंने धमदाहा से पुन: जीत दर्ज की और वर्ष 2014 में पहली बार राज्य मंत्रिमंडल में उन्हें स्थान मिला।

उसके बाद वर्ष 2015, वर्ष 2020 व अब 2025 की जीत के साथ वे धमदाहा विधानसभा क्षेत्र से जीत का छक्का लगा चुकी है। इस दौरान अलग-अलग राजनीतिक परिस्थितियों के बीच तीन बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व एक बार जीतन राम मांझी की अगुवाई वाली सरकार में मंत्री बनी ।

सीमांचल में पार्टी का सबसे सशक्त चेहरा बन चुकी लेशी सिंह ने इंटर तक की शिक्षा ग्रहण की है। वर्ष 2025 के चुनाव में मिली जीत के बाद फिर से उन्हें मंत्री बनाया गया है।

गौरतलब है कि वर्ष 2000 में पहली बार विधायक बनने के चंद माह बाद ही उनके पति की हत्या हो गई थी, लेकिन वे इस आघात से भी विचलित नहीं हुई। विधानसभा क्षेत्र के ही सरसी गांव की रहने वाली लेशी सिंह अब पार्टी के स्तर पर भी एक मजबूत चेहरा बन चुकी है और क्षेत्र के अलावा राज्य में उनकी अलग छवि मानी जाती है। महिला राजनीतिज्ञ के रुप में उनकी कुशलता का लोहा सभी मानते हैं।


लेशी सिंह सीमांचल इलाक़े के पूर्णिया ज़िले की धमदाहा सीट से साल 2000 के बाद से लगातार चुनाव जीत रही हैं।

लेशी सिंह बिहार की पूर्ववर्ती सरकार में मार्च 2024 तक खाद्य मंत्री भी रही हैं। उनके पति बूटान सिंह पूर्णिया में राजनीति से जुड़े थे और साल 2000 में अदालत परिसर में उनकी हत्या कर दी गई थी।

बूटान सिंह पूर्णिया में समता पार्टी के जिलाध्यक्ष थे। आगे चलकर समता पार्टी ही 2003 में जनता दल यूनाइटेड बनी।

लेशी सिंह अपने पति की हत्या से पहले ही राजनीति में क़दम रख चुकी थीं लेकिन साल 2000 में उन्होंने धमदाहा सीट से उम्मीदवारी के साथ चुनावी राजनीति में क़दम रखा। इसके बाद से उन्होंने कोई चुनाव नहीं हारा है। लेशी सिंह बिहार के महिला आयोग की अध्यक्ष भी रही हैं।

वर्तमान सरकार में मंत्रीपद की शपथ लेने से पहले भी वो पिछली बिहार सरकार में खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण विभाग की मंत्री रह चुकी हैं।

इन सबके बीच सीमांचल में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) अपने दमखम पर पांच सीट लेकर इलाके में अपनी उपस्थिति बरकरार रख हुई है। औवेसी खुद किशनगंज- पूर्णिया में दो दिन का कैंप करने जा रहे हैं।

गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में मिली बढ़त को मज़बूत करते हुए एआईएमआईएम ने बिहार की जिन 25 सीटों पर इस बार चुनाव लड़ा, उनमें से पांच अपने नाम की है।

इनमें जोकीहाट, बहादुरगंज, कोचाधामन, अमौर और बायसी सीटें शामिल हैं। ये सभी पांच सीटें मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाक़े में आती हैं।

ऐसे में अब देखना है कि सीमांचल में किस नेता का चेहरा आने वाले वक्त में चमकने वाला है, जिसके हाथ में कोसी से लेकर सीमांचल तक की राजनीति पलेगी-बढ़ेगी।



एआईएमआईएम की ये जीत इसलिए अहम हो जाती है क्योंकि बिहार में एनडीए की लहर के बीच आरजेडी जैसी बड़ी पार्टी की सीटें 25 तक आकर सिमट गईं.

No comments: