आज बापू की जयंती है। लेकिन यह भी कटु सत्य है कि हम सबसे अधिक झूठ बापू के ही नाम पर बोलते हैं। अब दो अक्टूबर को आयोजित होने वाले ग्राम सभा को ही लीजिये! यह भी एक झूठ है। जबकि यह लिखते हुए मुझे गांधी जी का यह लिखा याद आ रहा है - "अगर हिंदुस्तान के हर एक गांव में कभी पंचायती राज कायम हुआ, तो मैं अपनी इस तस्वीर की सच्चाई साबित कर सकूंगा, जिसमें सबसे पहला और सबसे आखिरी दोनों बराबर होंगे या यों कहिए कि न तो कोई पहला होगा, न आखिरी।”
पिछले एक दशक से बिहार के ग्रामीण इलाके में हूँ और सच कह रहा हूँ ' ग्राम सभा' का मजाक देख रहा हूँ। एक कॉपी या कहिये एक रजिस्टर में ग्राम सभा आयोजित होती है और उस कॉपी के पन्ने पर गांधी जयन्ती लिख कर झूठ का व्यापार किया जाता है।दरअसल यहीं से 'गांधी' नाम पर घोटाले की शुरुआत होती है।
यह कटु सच है कि हम सबकी चुप्पी गांधी जी के नाम पर होने वाले झूठ के व्यापार को बढ़ावा देती आई है। इसके लिए हम सब दोषी हैं क्योंकि यह देश की संसद की बात नहीं, हमारे आपके पंचायत - वार्ड की है।
आप दिल्ली- पटना या किसी भी सूबे के प्रधान को बड़ी आसानी से दो बात कह देते हैं लेकिन आँख के सामने घर-दुआर - पंचायत में होने वाली गलतियों पर गज़ब की चुप्पी साध लेते हैं। ईमानदारी से कहूँ तो ग्राम सभा में एक चुप्पी रहती है और फिर उस चुप्पी के एवज में लम्बा व्यापार चलता है।
हमें इस चुप्पी की ही सजा मिल रही है। गांधी हमें अन्याय सहने की बात नहीं कह गए हैं। कम से कम गाँव में चुनाव के जरिये जिन्हें चुनते हैं, उनसे तो सवाल करिये।
बापू की सादगी से सीखने का यह समय है। निजी तौर पर मुझे उनकी सादगी ही खिंचती है। कोई आदमी इतनी ऊँचाई पर पहुँचने के बाद इस तरह की सादगी कैसे बनाए रखा होगा, यह एक बड़ा सवाल है। महात्मा ने सादगी कोई दिखाने या नाटक करने के लिए नहीं अपनाई थी। यह उनकी आत्मा से उपजी थी। तो आइये, सादगी से ही सही सवाल करिये!
#GandhiJayanti
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"बापू की सादगी से सीखने का यह समय है। निजी तौर पर मुझे उनकी सादगी ही खिंचती है। कोई आदमी इतनी ऊँचाई पर पहुँचने के बाद इस तरह की सादगी कैसे बनाए रखा होगा, यह एक बड़ा सवाल है। महात्मा ने सादगी कोई दिखाने या नाटक करने के लिए नहीं अपनाई थी। यह उनकी आत्मा से उपजी थी। तो आइये, सादगी से ही सही सवाल करिये!"
सहमत
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