Wednesday, May 12, 2021

पूर्णिया में नहीं होने दी ऑक्सीजन क्राइसिस..

आज सुबह-सुबह मैसेज मिलता है कि पूर्णिया में ऑक्सीजन प्लांट खराब हो गया है और भागलपुर से भी आज ऑक्सीजन नहीं पहुंचा कुछ तकनीकी कारणों से। इस मैसेज को पढ़ने के बाद तो लगा कि अब क्या? क्योंकि शहर के अस्पतालों में सैकड़ों मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट में हैं। 

सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर लोग इस मसले पर अपनी बात रखने लगे, सचमुच यह एक बड़ी समस्या थी। एक ने कहा कि लोग सिलेंडर लेकर भटक रहे हैं, अस्पतालों में भी घंटे-दो घंटे की व्यवस्था है... यह सब पढ़कर मन और विचलित हो गया।

इन सबके बीच खबर आती है कि पूर्णिया के जिलाधिकारी राहुल कुमार सदर अस्पताल के कंट्रोल रूम में हैं और खुद सभी मसलों पर नजर बनाए हुए हैं। वह खुद इस मसले पर एक ट्वीट भी करते हैं लेकिन इन सबके बावजूद ऑक्सीजन की कमी को लेकर शहर भर में बात फैल चुकी थी। लोग परेशान थे। इस मुश्किल वक्त में ऐसी सूचना किसी को भी विचलित कर सकती है। 
इस मुश्किल घड़ी में जिलाधिकारी राहुल कुमार एक उम्मीद की तरह सामने आए। उन्होंने एक इमरजेंसी प्लान बनाया। जिला के अनुमंडल अस्पतालों से सिलेंडर मंगवाकर उन प्राइवेट अस्पतालों तक पहुँचाया, जहाँ इमरजेंसी जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी। राहुल कुमार ने बताया कि धमदाहा के सरकारी अस्पताल से 15 सिलेंडर मंगाकर मैक्स को 10 और जीवन अस्पताल को 5 सिलेंडर तत्काल दिया गया। दरअसल इन दोनों अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर की सबसे अधिक जरूरत थी।

इसके बाद राहुल कुमार ने अपने प्लान बी पर काम करना शुरु किया। उन्होंने कटिहार, किशनगंज और सुपौल के जिलाधिकारियों से संपर्क किया और वहाँ से ऑक्सीजन सिलेंडर लाने की योजना बनाई। साथ ही किशनगंज स्थित माता गुजरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के निदेशक दिलीप जायसवाल ने पहले 10 और फिर 30 जम्बो ऑक्सीजन सिलेंडर तुरंत पूर्णिया भेजा।

राहुल कुमार कहते हैं कि कटिहार से 10, किशनगंज से 10 और सुपौल से 15 सिलेंडर वहाँ के जिलाधिकारियों ने पूर्णिया भेजा। इसके अलावा पूर्णिया के अलग अलग सरकारी अस्पतालों से, जहाँ सिलेंडर की जरुरत नहीं थी, वहाँ से 100 सिलेंडर मंगवा लिए गए। ये सभी सिलेंडर उन सभी अस्पतालों को तत्काल मुहैया करवाया गया, जहां जरूरत थी। मरीजों को समस्या न हो, इसके लिए हर तरह की तैयारी हो रही थी। 

ऑक्सीजन क्राइसिस ऑपरेशन के दौरान राहुल कुमार लगातार कंट्रोल रुम में बने रहे। लगभग आठ घंटे तक यह ऑपरेशन चलता रहा, अलग अलग जिला से सिलेंडर आता रहा और उसे जरुरत के हिसाब से अस्पतालों को पहुँचाने का काम दिन भर जारी रहा। 

गौरतलब है कि पूर्णिया के मरंगा स्थित ऑक्सीजन प्लांट से हर दिन 350 और भागलपुर से 150 सिलेंडर पूर्णिया को मिलता है। ऐसे में यदि एक दिन भी प्लांट में गड़बड़ी आती है तो हम अंदाजा लगा सकते हैं कि स्थिति कितनी भयावह हो सकती है। बुधवार को भी जिला के 3 सरकारी और 10 प्राइवेट अस्पतालों में लगभग 250 मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे और ऐसे समय में यदि मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी हो जाती तो एक बड़ी त्रासदी से हमारा सामना हो जाता। लेकिन जिला के अधिकारियों ने आज ऐसा नहीं होने दिया। राहुल कुमार कहते हैं, “यदि थोड़ी सी भी चूक होती तो कुछ भी हो सकता था लेकिन हमने अपने संसाधनों को बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया। साथ ही आसपास के जिला का पूरा सहयोग मिला, जिस वजह से मरीजों को कोई दिक्कत नहीं हुई।”

अब मरंगा स्थित ऑक्सीजन प्लांट पूरी तरह से ठीक है और काम करने लगा है। सच कहिए तो आज पूर्णिया बच गया। ऐसे वक्त में धैर्य की भी परीक्षा होती है। अक्सर हम सवाल उठाने लगते हैं, सवाल वाजिब है लेकिन लोगों के बीच भय का वातावरण बनाना ठीक नहीं है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर तो यहां तक पढ़ने को मिल गया कि आज ऑक्सीजन क्राइसिस से 20-25 मरीज की मौत तय है...ऐसी बातों को पढ़कर मन कमजोर होता है, जबकि यह वक्त मन मजबूत बनाकर रखने का है।

खैर, इस मुश्किल घड़ी में पूर्णिया के लिए राहुल कुमार जो कुछ भी कर रहे हैं, उसे याद रखा जाएगा। हर स्तर पर वह जरुरतमंदों की सहायता कर रहे हैं।उनकी बात जब भी होती है, अकबर इलाहाबादी का लिखा याद आ जाता है- 
“कहीं नाउम्मीदी ने बिजली गिराई, 
कोई बीज उम्मीद के बो रहा है...”

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