Tuesday, May 19, 2020

लौट रहे लोग...

उस बैग में कपड़े थे
एक रंगीन फ्रॉक था
शायद घर में होगी 
छोटी सी बेटी

एक पॉलीथिन भी था
भरा था मूढ़ी से
किसी हिंदी
अखबार के टुकड़े  में 
रखा था नमक और प्याज.. 

लोहे में दबकर टूट गई थी
नई साईकिल
कुछ के जेब में थे आधार कार्ड
कुछ के पास नहीं थे ऐसे कार्ड

छह शव की पहचान हो गई
लेकिन तीन अभी भी थे बेनाम..

ये लौट रहे लोग थे
कामगार थे..

एक सुंदर और चौड़ी सड़क 
की छाती पर 
आज बिखरे थे कामगारों के खून
सड़क के दूसरी तरफ
सूख रहा था मक्का
अभी भी सड़क पर दिख रहे थे
लौट रहे लोग...

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