Monday, September 16, 2019

हिंदी

हम सब जो छोटे छोटे शहरों से निकलकर बड़े बड़े शहरों में काम-काज या पढ़ाई के लिए अपनी जगह तलाशने जाते हैं तो हमारे साथ हमारी भाषा भी यात्रा कर रही होती है। मेरे लिए हिंदी वही भाषा है। यह हमारी सोच से लेकर हमारे कर्म की भाषा है।

हिंदी पट्टी के लोग अपने जीवन की यात्राओं के अलग अलग मोड़ पर अपनी भाषा की बदौलत जय-जय कर रहे हैं। इस दौर में हिंदी के लोग अपने अपने कार्यक्षेत्र में खूब चमक रहे हैं। उनकी चमक का अहसास छोटे-छोटे शहरों में भी महसूस किया जा सकता है। बॉलीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी इसके सबसे मजबूत उदाहरण हैं। आप ऊंचाई हासिल करने के बाद अपनी भाषा को कितना स्नेह देते हैं, यही चीज आपको ऑर्गेनिक बनाती है।

इन सबके बीच एक बड़ा सवाल यह भी जेहन में उठता है कि हम लोग जो छोटे शहर या गाम-घर में स्थापित हो चुके हैं, ऐसे लोग हिंदी के लिए क्या कर रहे हैं? यह सवाल एक कड़वा सच है, जिसे हमें स्वीकार करना होगा।

भले ही हम डिजिटल हो चुके हैं लेकिन क्या हम अपने शहर में हिंदी की किताबों की दुकानों में जाते हैं? क्या डिजिटल दौर में हिंदी के लिए हम ऑनलाइन कुछ कर रहे हैं? ये सब कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब की खोज के लिए हम अक्सर छोटे शहर में लोगों से बात करते हैं।

हिंदी की समृद्धि हमसे ही है। हमें हिंदी को समृद्ध करना होगा। पहले लोग कहते थे कि अंग्रेजी ही बाजार की भाषा बनी रहेगी लेकिन अब हिंदी ने डिजिटल से लेकर बाजार के चारों तरफ अपना झंडा बुलंद कर लिया है। ऐसे में हमारा भी दायित्व बनता है कि हम व्यक्तिगत स्तर पर अपनी भाषा के लिए कुछ न कुछ करते रहें।

दरअसल हिंदी हमारे लिए अभिव्यक्ति की भाषा तो है ही साथ ही इस भाषा के ज़रिए हमलोगों की रोज़ी-रोटी की तलाश भी पूरी होती है। हिंदी हमें इस भीड़ में पहचान देती है।

हम जहां हैं, वहां अपने काम काज से हिंदी को समृद्ध कर सकते हैं। मोबाइल-कंप्यूटर की दुनिया में देवनागरी का सुलभ होना एक क्रांति है। जैसे ही स्क्रीन पर हिंदी टाइपिंग सुलभ तरीक़े से उभरने लगी, हम हिंदी वालों को लाभ मिलना शुरू हो गया। डिजिटल दुनिया में हिंदी की दमदार उपस्थिति देवनागरी के सुलभ होने से संभव हुई है। मोबाइल स्क्रीन पर टाइप करते हुए हम पूरी दुनिया से संवाद कर रहे हैं। ऐसे में हम अपने स्तर पर हिंदी के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। अब वह वक्त नहीं है कि हम यह कहें कि असली चमकती हिंदी की दुनिया महानगर में ही है या फिर सिनेमा के पर्दे पर। आईए हम अपने अपने स्तर से हिंदी की दुनिया में कुछ अलग, कुछ नया करते हैं।

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