Thursday, September 24, 2009

हमारे 'बच्चे' ने चांद पर पानी खोजा

देश के पहले चंद्रमिशन 'चंद्रयान-1' के परियोजना निदेशक और वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक एम।अन्नादुरई ने चांद पर पानी के प्रमाण मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि हमारे 'बच्चे' ने चांद पर पानी खोज कर अपना काम पूरा कर लिया है।


चंद्रयान अपने साथ अमेरिकी उपकरण मून मिनरोलॉजी मैप्पर यानी 'एम 3' भी लेकर गया था और इसी के माध्यम चांद की सतह पर पानी के प्रमाण मिले हैं।

अन्नादुरई ने कहा, "चांद पर पानी खोजने में मदद कर बच्चे ने अपना काम पूरा कर लिया है।" उन्होंने कहा कि चांद पर पानी का प्रमाण मिलना एक 'बड़ी खोज' है।

अन्नादुरई ने कहा, "यह मील के पत्थरों में एक है। यह टीम के संयुक्त प्रयास का नतीजा है। चांद पर पानी या बर्फ की मौजूदगी का पता लगाना मिशन के प्रमुख वैज्ञानिक उद्देश्यों में से एक था।" उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक पत्रिकाओं में चंद्रयान-1 की और खोजों के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित होगी।


वरिष्ठ अमेरिकी वैज्ञानिक कार्ल पीटर्स ने गुरुवार को चंद्रमा पर जल की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि अमेरिकी अंतरिक्ष विज्ञान एजेंसी (नासा) के उपकरण चंद्रयान-1 के साथ भेजे गए मून मिनरोलॉजी मैप्पर यानी 'एम 3' के अनुसार चांद पर जल है।

'एम 3' चंद्रयान में शामिल 11 वैज्ञौनिक उपकरणों में एक था। चंद्रयान को 22 अक्टबूर 2008 को श्री हरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया था लेकिन अगस्त 2009 में चंद्रयान का नियंत्रण कक्ष से रेडियो संपर्क टूट गया था और इसके साथ यह मिशन समाप्त हो गया।


चंद्रयान पर पांच भारतीय और छह विदेशी उपकरण थे, जिसमें दो नासा के, तीन यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) और एक बुल्गारिया का था।


अमेरिकी वैज्ञानिक पीटर्स ने चांद पर जल की मौजूदगी की पुष्टि करते हुए इसे प्रमुख खोज बताया। उन्होंने इसका श्रेय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद (इसरो) को देते हुए कहा, "यदि यह इसरो के साथ नहीं होता तो हम यह खोज करने में असमर्थ होते।"


नासा के अंतरिक्ष यान कैसिनी पर मौजूद विजुअल एंड इंफ्रारेड मैप्पिंग स्केटोमीटर(वीआईएमएस) और अंतरिक्ष यान 'ईपीओएक्सआई' के हाई-रेसोल्यूशन इंफ्रारेड इमेजिंग स्पेक्टोमीटर ने भी चांद पर पानी मिलने के प्रमाण की पुष्टि की है।


अन्नादुरई ने कहा कि चंद्रयान से जुड़ी और जानकारी सामने आएगी क्योंकि इसके साथ 11 उपकरण थे। उन्होंने कहा, "हम अगले कुछ हफ्तों या महीने में और जानकारी की आशा करते हैं।"

(यह रिपोर्ट आईएएनएस के बेंगलुरू संवाददाता फकीर हसन का है। उन्होंने आज अन्नादुरई से बातचीत की थी )

नोट- अन्नादुरई के साथ एनडीटीवी के एक पुराने (October 16, 2008 ) साक्षात्कार को पढ़ने के लिए यहां आएं। यह साक्षात्कार चंद्रयान-१ के लांच होने से पहले की है।

2 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई! हम उन पर गर्व कर सकते हैं।

राजाभाई कौशिक said...

बधाई!चांद पर पानी खोज कर जीवन का आधार पाया है



( भाई !क्यों मजाक कर रहे हैं

मै ओर मेरा दलाल वहीं रहते है

चाँद पर प्लोटो की कटिंग जो करतें है

हमने तो यहाँ पानी नही पाया है
एक आध बार गंगाजल पृथ्वी से मंगवाया है
ये बात और है कि यहाँ प्यास नही है

पर भय जरूर है पृथ्वी वासियों का

उनकी नियत का दोहन की वृत्ति का

कल्पना करने लगा है चाँद अपनी बदशक्ली

सोचता है चाँद करवाचौथ को देखकर छ्लनी
क्या एसी शक्ल हो जायेगी जब ड्रील है चलनी

अपने लिये अर्घ्य की भारी पडेगी कीमत चुकानी ) प्रहसन मात्र अन्यथा न लें