डॉयरी के पन्ने को पलट कर देखा
पूरा का पूरा साल पन्ने में कैद देखा
डॉयरी जब बनी होगी, पता नहीं इसमें क्या होगा
जब पहली बार कोई डॉयरी में लिखा होगा
पता नहीं उसे क्या मिला होगा
हमेशा से झूठ बोलने वाला
जब पहली दफा डॉयरी लिखा होगा
तब पहली दफा सच लिखा होगा
खुद में खुद को देखने वाला
डॉयरी में खुद को पाता है
बंधन में रहने वाला जब दर्पण देखता है,
तब वह खुद को बंधन मुक्त पाता है
इसलिए भाई
डॉयरी लिखनी चाहिए
खुद को एक दफा ही सही
खुद से बात तो करनी चाहिए।
6 comments:
dairy mai hamesha sach hi likhna chahiye
dairy mai hamesha sach hi likhna chahiye
भाई गिरीन्द्र जी डायरी एक असूल है कि उसमें सच ही लिखना चाहिए और सच लिखना हर किसी के वश में नहीं। और जो सच लिख दें उसमें तो डायरी जान से प्यारी हो जाती है और उसे सात तालों में रखना पड़ता है।
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गिरीन्द्र भाई, खुद की रचना है?
हां आशीष दा, लिखने की कोशिश कर रहा हूं।
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