बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में रहने वाली इस देश की 'असाधारण महिला' के जज्बे ने सैंकड़ों ग्रामीण स्त्रियों में एचआईवी/एड्स के प्रति जागरूकता की ज्योति जगाई है। समाज सेवा के चलते राष्ट्रीय शख्सियत बन चुकी बालथी रसूलपुर गांव में रहने वाली इस महिला का नाम है, रागिनी देवी।
जी हां, एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली रागिनी ने ग्रामीण स्त्रियों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने व एचआईवी/एड्स के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष मुहिम चलाई है।लगभग दो वर्ष पूर्व रागिनी ने सब्जियों की खेती कर स्वयं को पहले आर्थिक रूप से संपन्न बनाने की पहल की।
रागिनी के इस कदम से प्रभावित उसके गांव की अनेक महिलाओं ने खेती को जीविकोपार्जन का जरिया बनाया। खेती के बाद रागिनी ने सेहत की तरफ महिलाओं का ध्यान खींचने की कोशिश की और उन्हें एड्स जैसी बीमारी से अवगत कराया। इसी प्रकार एड्स के खिलाफ छेड़ी गई लड़ाई में भी गांव की महिलाएं रागिनी का काफी साथ देने लगी।
एक परामर्शदाता के रूप में रागिनी स्त्रियों को इस रोग से बचाव व उपचार के उपायों के बारे में बताती हैं। यही नहीं एड्स के बारे में फैली हुई तमाम भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश भी करती है। इस बारे में रागिनी कहा कि, "इस जागरूकता अभियान में ग्रामीण महिलाएं बढ़-चढ़ कर भाग ले रही हैं"।
गौरतलब है कि लगभग दो वर्ष पूर्व दिल्ली की 'ग्रासरूट' पत्रिका ने रागिनी को 'भारत की असाधारण महिला' के खिताब से नवाजा था। यह ग्रामीण महिला फिर सुर्खियों में आई, जब उन्होंने इसी दौरान उस वक्त के राष्ट्रपति ए।पी।जे.अब्दुल कलाम के साथ एक अंतर्राष्ट्रीय महिला सम्मेलन का उद्घाटन किया था।
साभार - इंडो-एशियन न्यूज सर्विस
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