Wednesday, March 05, 2008

बात खत्म हुई। भदेस खत्म होना चाहिए


अविनाश के बारे में कुछ लिखना इतना बवाल मचाएगा, मुझे पता नहीं था। एक से बढ़कर एक टिप्पिणयों का जायका पढ़ने को मिला। वैसे कुछ टिप्पणीकारों से यह बंदा सहमत नहीं है लेकिन बोलने, लिखने और अपने भड़ांस को उगलने की आजादी पर कुछ बोलेगा नहीं। आपकी मर्जी आप जो बोलें, जो लिखें। मुझे आपत्ति नहीं है।

सच कहूं, अविनाश प्रकरण से मैं अपनी पोस्ट से पहले अवगत नहीं था और जब इन टिप्पणीकारों के माध्यम से जाना तो भी अविनाश को लेकर मुझमें कोई बदलाव नहीं आया।
अजित वडनेरकर ने कहा-

''साथ वाथ किसी ने नहीं छोड़ा है मनोज भाई। इस तरह के निष्कर्ष भी जल्दबाजी के हैं। दरअसल हुआ ही कुछ नही है। बिना बात की क्यों भावुकता दिखाई जाए। एक सैद्धांतिक बात थी जिस पर दो दो राय सबकी आ गई। बात खत्म हुई। भदेस खत्म होना चाहिए। अविनाश जी बहुत संबल वाले हैं। कृपया ऐसी बाते न करें।''

sajid ने ठीक ही कहा कि,

''जब जब अपनी बुराई सुनो. समझो तरक्की कर रहे हो :)''

खैर, आपकी इच्छा, आप जो कहें, शायद इसी कारण मैं इस टिप्पणी पर कुछ नहीं कहूंगा-

'' कैसन बात करत हो बबुआ आप भी।हद है, एक फ्राड आदमी की इस तरह तरफदारी, जिसकी कौनो औकात नईन, करना तो अपने आपको गिराना हुआ. यू कैन भी डिफान्ड पतनशील. कैइसन मर्दे आदमी कहवावा हो?''

''ठीक कहत हौ प्रमोद भाई उर्फ अज़दक वाले उर्फ Anonymous जी, ससुरा फ्रॉड के बारे में लिखिस है। फ्रॉडवा तेल लगाहिस होगा कि एतना गारी पर रहा है, तनी परसंसा कर दो जी। और ई गिरिन्‍दर बाबू कर दिये।''

तो बात खत्म करने की इजाजत दें.....बस यही कहूंगा-
बात खत्म हुई। भदेस खत्म होना चाहिए

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