Friday, February 29, 2008

का हो लिखत काहे न हो ?

का हो लिखत काहे न हो ? यह सवाल मेरे कुछ दोस्त अक्सर पूछा करते हैं। क्या कहूँ उन्हें, आजकल काम सर चढ़ कर बोल रहा है, दिन भर कंप्युटर पर घिसिर पिकिर और जब समय मिलता है तो और नया काम करो- आका का हुक्म ......तो आप ही बताएं कैसे ब्लोगिया जाए ।

वैसे आज कल समय निकलने की कोशिश कर रहा हूँ... कुछ किताबों मे मन रमा रहा हूँ। उसमे एक है एम जे अकबर की ' Byline ' और जब मन और उचाट हो जाता है तो काशी का अस्सी- काशीनाथ सिंह को पलटने लगता हूँ।

जो भी ब्लॉग पर कुछ न कुछ लिखा जाएगा ..वैसे कहूँ अपनी नौकरी मे वीक मे एक दिन ब्लॉग पर एक स्पेशल रिपोर्ट तैयार करता हूँ ।
रिपोर्ट के लिए यहाँ आयें

गीतों से सजा ‘रेडियो ब्लॉग’
ब्लॉग जो सिर्फ बेटियों का है !

बांकी सब बाद मे बतियाते हैं।

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