मुझे आदमी का सड़क पार करना हमेशा अच्छा लगता है क्योंकि इस तरह एक उम्मीद - सी होती है कि दुनिया जो इस तरफ है शायद उससे कुछ बेहतर हो सड़क के उस तरफ। -केदारनाथ सिंह
Saturday, July 21, 2007
अनुपम खेर अलग मुड में
हिन्दी सिनेमा में एक अलग मुड के एक्टर हैं, अनुपम खेर। सिनेमा के पर्दे पर जौहर दिखाने के अलावे आप एक्टिंग स्कूल भी चला रहे हैं। “Actors Prepare” नाम से यह स्कूल लोगों को अभिनय के लिए तैयार करता है। इनकी तीन फिल्में सिनेमाई दुनिया में हमेशा याद की जाएगी। ये फिल्में हैं – सारांश, मैंने गांधी को नहीं मारा और खोसला का घोसला.। इन तीनों फिल्मों में अनुपम अपनी अभिनय कला को नये आयाम देते नजर आए।
अभी हाल ही में अनुपम खेर दिल्ली आए हुए थे। फिल्मों के अलावे जीवन में खुश रहने के लिए वे क्या-क्या करते हैं, उन्हें अभिनय के अलावा और क्या पसंद है और अपने बेटे सिकंदर के बारे में भी इस महान कलाकार ने खुलकर बातें की (आईएएनएस के साथ)
अनुपम खेर ने बताया की आज से पांच साल पहले मेरी जिंदगी समस्याओं से लबालब थी। मैंने इस दौरान काफी चिंतन-मनन किया। मैंने पाया कि सारी चिंताओं के जड़ में खुद था। दरअसल मैं अपने अंदर की बात को समझ नहीं पा रहा था। जबसे मैं खुद पे भरोसा करने लगा, सारी समस्याऐं सुलझती गयी। मैं मानता हूं कि अब मैं अंदर से आशावादी बन चुका हूं।
अनुपम खेर पूरे देश में घूम-घूम कर लोगों को मोटिवेट करने के मूड में हैं। वे आगे बता रहे थे कि आदमी लाख व्यस्त रहे, लेकिन वह कुछ समय काफी अलग कामों के लिए निकाल सकता है।
इन्हें शिक्षक का रोल करना सबसे अच्छा लगता है, स्क्रीन पर नही जनाब असल जिंदगी में....। स्क्रीन पर कॉमेडी का रोल करना उनके लिए एक चुनौती है।
अने वाले समय में उनकी चार फिल्में सिनेमाई पर्दे पर नजर आएगी- विक्टोरिया नं.203, वेड्नसडे, गॉड तुसी ग्रेट हो और लागा चुनरी में दाग.। जनाब इन दिनों स्क्रीप्ट लिखने में भी व्यस्त हैं।अनुपम खेर से जब बेटे सिकंदर के बारे में पूछा गया तो उनका जबाब काफी नपा-तुला रहा। गौरतलब है कि सिकंदर, संजय गुप्ता कि फिल्म वुडस्टॉक विला में नजर आने वाले हैं। अपने बेटे को वे हमेशा कहते आए हैं कि काम इमानदारी से करो, अच्छे कलाकारों से सीख लो..........बस और क्या...।
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5 comments:
शुक्रिया
keep it up. these works gives better opportunities in future. padhkar achha laga
शुक्रिया
अनुपम खेर साहब बहुत ही उम्दा कलाकार हैं मैं तो मानता हूँ कि भारत में कोई भी सिनेमा का सही मायने में कलाकार नही है सभी स्टूडियो कलाकार हैं और यह सत्य भी है मगर अनुपम साहब थोड़े अलग हैं उन्होंने काफी अच्छा काम किया है…।
आइ.ए.एन.एस. में काम करते हुए कुछ ऐसा उम्दा हमेशा निकालते रहते हैं, बहुत ही अच्छी बात है गिरीन्द्रजी......अच्छा लगा । जहां तक अनुपम खेर की बात है तो अभिनय में तो उनका जोड़ा नहीं...he is the best.
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