आरकूट के जरिए कभी कभी कुछ मजेदार चीज हाथ आ जाती है, यह गीत उसी का नतीजा है.
स्क्रेप बुक में आया तो सोचा क्यो न यहां लगाया जाए ........तो पेश है-
चारो ओर देख
अंगरेजी का गीटिर-पिटिर
सोचला मनवा
का इ देश बा अपना,
कब मिली भोजपुरी
के कद अपना,
खुली आखँन से
देखी ला इ सपना |
पहिन के सूट-बूट
बोलेमें आपन भाषा,
जब केहु के
शरम न आई,
खुली आखँन से
देखी ला इ सपना |
जइसे बोल के अंगरेजी
फूलला आपन सीना,
वइसन कब लोग
सिखियन अपने भाषा
के संग जीना,
खुली आखँन से
देखी ला इ सपना |
देखत- देखत सपना
आ गइल निंदिया,
जागा तो पाया
हाथ में रहल हमरे
अंगरेजी का दुनिया ,
तब समझ इ आयल भवा,
पहिले बदला अपने के
तब चला बदले दुनिया,
नाहिं त खुली आखँन से
देखत-देखत रह जाई
इ बस एक सपना
तब समझ इ आयल भवा,
ReplyDeleteपहिले बदला अपने के
तब चला बदले दुनिया,
--जिसने भी कही है, मजाक में ही सही-बड़ी गहरी बात कह गया है.