दिल्ली विश्वविद्धालय की एक खासियत है कि यहां पर पढाई के साथ आप बहुत सारे काम कर सकते है जो खास तौर पर आपको पसंद है, मसलन ड्रामा, म्युजिक और न जाने कितने शौक और आपके अरमान.
इससे अगर रुबरु आपको होना है तो घुमे यहां के कालेजो में.. कालेज के अलावे भी अलग्-अलग जगहो पर स्टुडेन्ट्स अपने कला को दिखाते आए है.
कुछ ऐसा ही देखने को मिला आक्सफोर्ड बुक स्टोर में. लेडी इरवीन कालेज के स्टुडेन्ट्स ने एक खुबशूरत प्ले का मंचन किया तो कालेज के पुराने दिन याद आ गये. फ्रेम नाम के इस प्ले में दुनिया के लोगो के देखने के नजरिये को सपाट ढंग से प्रस्तुत किया गया.
कालेज की लड्कियो ने अलग अंदाज मे अपनी कलाकारी दिखायी.. आप किस नजर से दुनिया को देखते हैं ? यही थीम है इस प्ले का. हमारे ..आपके और न जाने कितने लोगो के अंदाज है , जो साफ अलग है.. क्योंकि हम सभी का नजरिया साफ अलग है इस दुनिया को देखने का.
तकरीबन पचास की संख्या मे देखने के लिए लोग आए थे. सभी को फ्रेम अच्छा लगा..आखिर क्यो न लगे....उन्ही का तो फ्रेम था.
जरा बता दूं आक्सफोर्ड बुक स्टोर के बारे में, यहां किताबो के अलवे भी एक दुनिया है जिसे डायलोग क्लब कहते हैं.
दिल्ली वालो के लिए यह क्लब एक प्लेट्फार्म मुहैया कराता है...ताकि हम अपने विचार रख सके,,सभी के सामने.अब आप भी, यदि दिल्ली मे है तो जरुर चक्कर लगाये यहां का. अ ..रे.. काफी नजदीक है. स्टेट्मैन हाउस मे ही है यह बुक स्टोर.. तो जाये और लुत्फ उठाये किताबो का और गाहे-बगाहे प्ले और अन्य डायलोग से मुखातिब होवें.
3 comments:
नंदनजी की काव्य साधना के बिभिन्न पहलुओं में से यह एक है. उनकी और रचनायें भी पोस्ट करें
मैं इस बुक स्टोर पर अक्सर जाता हूं हांलाकि किताबों के लिये नहीं पर चाय पीने। यहां पर दुनिया की सब तरह की चाय मिलती हैं।
इस दुकान कि किताबों का चुनाव अच्छा नहीं है। यह केवल एक खास तरह के लोगों के लिये। क्या अच्छा हो कि यहां पर हर तरह की किताबें हों। मैंने इस बारे में इसकी मालकिन से बात की और इनकी कंप्लेन्ट पुस्तिका पर भी लिखा, अगली बार देखूंगा कि क्या कुछ बदलाव आया कि नहीं।
शुक्रिया इस जानकारी के लिए !
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