Thursday, February 13, 2025

अथ सीसीटीवी कथा

कई चीजें जीवन में घटनाओं के जरिए आती है, ऐसी ही एक चीज है- सीसीटीवी कैमरा! बीते 8 फ़रवरी को शहर पूर्णिया वाले मेरे घर में चोरों ने ढंग से उत्पात मचाया। और इसी बदरंग घटना की वज़ह से सीसीटीवी कैमरे का जाल अपने घर आया!

8 फ़रवरी को सुबह सवेरे पूर्णिया के नवरतन हाता स्थित आवास में छत के रास्ते चोर फर्स्ट फ्लोर के फ्लैट में आसानी से प्रवेश करता है और किराएदार को लाखों की चपत लगाकर निकल जाता है। दरअसल किराएदार घर में था नहीं जिसका अंदाजा शायद चोर को था।
इस डिजिटल युग में चोरी की घटनाओं पर नजर डालने के लिए बाजार में सीसीटीवी कैमरे ने अपनी ऐसी जगह बना ली है, जैसे बुखार के मामले में पैरासिटामोल!

चोर शातिर होता ही है, इसलिए उसने रास्ता वही अपनाया जहां कैमरा नहीं लगा था। इस घटना के बाद पुलिस और मीडिया से जुड़े मित्रों का तुरंत सहयोग मिला और प्राथमिकी ( FIR) भी दर्ज हुई। पुलिस अनुसंधान में जुटी है।

ये तो हुई घटना की बात लेकिन इस घटना ने मुझे सीसीटीवी कैमरे के करीब लाकर खड़ा कर दिया। चोरी की वजह से मुझे भी अपने घर को सीसीटीवी कैमरे की कैद में करने को मजबूर कर दिया। 

दुनिया भर में लोग इस उपकरण की चपेट में हैं। एक वेबसाइट के अनुसार दुनिया भर में 770 मिलियन कैमरे हैं जो खतरनाक अपराध दरों को रोकने में मदद करते हैं। पता नहीं इसमें कितनी सच्चाई है लेकिन इतना तो सही है कि हम सब चोर की निगाह से बचने के लिए सीसीटीवी कैमरे की निगाह में कैद हो चुके हैं। 

मोबाइल ने तो पहले से ही हमें अपनी गिरफ्त में कर रखा है अब बड़ी तेजी से दीवार से लेकर खंभों तक में टांगे गए कैमरों की नजर हम सब पर बन चुकी है।

पूर्णिया के नवरतन हाता में जहां अपना घर है, ठीक उसके सामने बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल का एक ऑफिसनुमा बड़ा सा कैम्पस है, यहां यह इसलिए लिखा जा रहा है क्योंकि जगह की पहचान घटनाओं के जिक्र में काफी मायने रखती है।

पूर्णिया पुलिस के जो अधिकारी घटना के तुरंत बाद आए, उनकी तेजी और कार्यशैली ने प्रभावित किया। लेकिन जिस तरह राज्य भर में चोरी और अन्य अपराध की घटनाएं हो रही हैं, उसपर केवल चिंता जाहिर करने से काम नहीं चलने वाला है।

चोरी की घटना की वज़ह से एक बड़ा खर्च कैमरे से कैम्पस को तथाकथित तौर पर सजाने में भी बर्बाद हुआ है और चोर के रास्ते को राज मिस्त्री के मार्फत बंद करने का खर्च सो अलग!

खैर, कैमरे से याद आया कि नासा के साथ मिलकर निकॉन ने अपना मिररलेस कैमरा स्पेस में भेजा है, Nikon Z9, जो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में पहुंच चुका है। इसका इस्तेमाल पृथ्वी की तस्वीरें खींचने के लिए किया जाएगा। ये पहला मिररलेस कैमरा है, जिसे स्पेस स्टेशन भेजा गया है। 

कैम्पस में हुई चोरी और फिर सीसीटीवी कैमरे से घर के कोनों कोनों को कैद करवाते वक्त मनोज बाजपेयी की एक फिल्म की खूब याद आ रही थी - 'गली गुलियां '

यह एक साइकोलॉजिकल ड्रामा है जो शहर की दीवारों और अपने दिमाग की उलझन में फंसे एक चुप्पी साधे व्यक्ति के बारे में है। यह फिल्‍म खुद को अपने दिमाग की दीवारों के कैद से आजाद करने की कहानी है।

फिल्म में मनोज बाजपेयी की दुनिया रहस्यमयी है। सिनेमाई पर्दे पर वह अकेलेपन की जिंदगी जी रहे होते हैं। फिल्म के चुप्पी साधे नायक ने अपना एकांत खुद चुना है लेकिन दूसरों की जिंदगी में चोरी-छुपे झांक कर खुद को व्यस्त रखता है। 

फिल्म का नायक पेशे से इलेक्ट्रीशियन है और पुरानी दिल्ली की गलियों और कई लोगों के घरों में उसने सी सी टी वी कैमरे फिट कर दिए हैं। घर में लगे कंप्यूटर पर वह सबकी जिंदगियों पर नजर रखता है कि कहां-क्या-क्यों हो रहा है। बिजली के उलझे तारों की तरह ही उसके बाल-दाढ़ी हैं और वह मनोरोगी लगता है।

यह सब लिखते वक्त सीसीटीवी के तार की दुनिया और फिर उस कैमरे में दर्ज फुटेज को खंगालते पुलिस विभाग के लोगों के बारे में सोचने लगता हूँ, सचमुच सीसीटीवी की मायावी दुनिया एक समानांतर दुनिया बनाने में जुट गई है!

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