फिर सवाल आया, बिहार को लेकर नेगेटिव क्यों? जवाब आया, बिहार एक ऐसी नदी है, जो बस कागज पर है, जमीन पर उसे प्लॉट बनाकर बेच दिया गया है! यदि सच नेगेटिव है तो उस सच को पॉजिटिव तो नहीं कहा जा सकता है न!
सच कहिये, अगले पाँच दशक तक बिहार ऐसा ही रहने वाला है। इस रुकतापुर राज्य को मजबूत इच्छाशक्ति वाले मुख्यमंत्री की जरूरत है, जो उद्योग लगा सके, शहर से गाँव तक लोगों को उद्योग आधारित नौकरी दे सके। यदि बिल्डिंग बना देने से विकास आ जाता तो हर सरकारी स्कूल और अस्पताल मुस्कुराता नज़र आता।
हम उस थमते, ठहरते सूबे के वोटर हैं, जहाँ खेतिहर मजदूर को भी मजदूरी करने के लिए दूसरे राज्य में जाना पड़ता है।
हम उस रुकते हुए राज्य में रहते हैं, जहाँ के बच्चों को ट्यूशन पढ़ने के लिए अन्य राज्य में जाना पड़ता है।
बिहार ऐसा राज्य है जहाँ के मरीज को भी दिल्ली ही नज़र आता है! इस हकीकत पर बोलने की जरूरत है।
बिहार को बस उद्योग बचा सकता है, देश के बड़े उद्योगपतियों को बिहार में संभावना दिखनी चाहिए, यह काम केवल बिहार सरकार कर सकती है, जो राज्य सरकार करेगी नहीं! तो कैसे कहें कि बिहार बदल जायेगा...
केवल बिहार ही नहीं हर तरफ रुकावट है | बह रही हैं तो बस बातें |
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