Tuesday, August 17, 2021

गंध करते मोहल्ले की कहानी

बहुत दिन पहले जब एनडीटीवी पर 'रवीश की रिपोर्ट' आया करती थी तो उसमें एक रिपोर्ट खोड़ा कॉलोनी की दिखाई गई थी। रवीश कुमार ने गाजियाबाद स्थित खोड़ा कॉलोनी की दुर्दशा दिखाई थी। आज वह रिपोर्ट इस वजह से याद आ रही है क्योंकि हम सूबा बिहार के पूर्णिया शहर के जिस मोहल्ले में रहते हैं, वह गंदे-जमे पानी का नाला बन गया है। यदि ड्रोन से कोई इस मोहल्ले की तस्वीर लेगा तो रूप खोड़ा कॉलोनी की ही तरह दिखेगा।

सिक्स लेन सड़क के किनारे यह मोहल्ला बसा है, नाम है नवरतन हाता। नाम इतना सुंदर कि लगता है किसी वाटिका में ही यह मोहल्ला बसा हो ! केएफसी, पिज्जा हट जैसा चकमक आउटलेट वाला यह मोहल्ला जानवरों का अड्डा बन गया है, सुअर तो हर वक्त लोटते पोटते दिख जायेंगे। जानवरों के मल - मूत्र से यह मोहल्ला 'गम गम' करता रहता है।

इसी मोहल्ले में बिहार के मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता
दल (राजद) का एक बड़ा सा आवासीय दफ्तर भी है, यहीं भारतीय खाद्य निगम का भी दफ्तर है। सदर एसडीओ का आवास भी इसी मोहल्ले के सीमांत पर है। खैर, यह कोई बड़ी बात नहीं है! 

सच यह है कि इस मोहल्ले का सड़क नाले में तब्दील हो चुका है। योजनाओं के नाम पर सड़कों को बिहार में इतनी बार तोड़ा जाता है कि सड़क खुद को खेत समझने लगती है। स्थिति और खराब तब हो जाती है जब सड़क की ऊंचाई हर बार बढ़ा दी जाती है, इससे होता यह है कि जिनका घर पुराना है, वह घर सड़क से नीचे हो जाती है और फिर बरसात में एक 'व्यवस्था द्वारा निर्मित बाढ़' का सामना लोगों को करना पड़ता है। कभी कभी तो लगता है कि घर का दरवाजा, खिड़की में तब्दील हो गया है। 

इस मोहल्ले में 'स्वच्छ भारत' आपको कीचड़ में जगमग करता दिखेगा। इस मोहल्ले के लोग भी कम काबिल नहीं हैं , घर का कूड़ा तो हम अधिकार पूर्वक सड़क पर फेंकते ही हैं, घर निर्माण का मलवा (ईंट पत्थर) भी बने बनाए सड़क पर पूरे विवेक से फेंकते हैं। आत्मनिर्भर भारत का सपना मानो इसी मोहल्ले के लोगों को पूरा करना है। 

यह बिहार के एक पुराने शहर के एक पुराने मोहल्ला का रंग है जो अब गंध कर रहा है। भले ही मुकेश अंबानी का जियो फाइबर यहां पहुंच गया है लेकिन जल जमाव से हमें अबतक निजात नहीं मिला है।

कभी कभी लगता है कि वार्ड मेंबर, विधायक, सांसद या फिर नगर आयुक्त से मिला जाए, फिर लगता है कि क्या उन्हें सच पता नहीं होगा ? दरअसल सिस्टम ही नाला और सड़क की तरह टूटी फूटी है, उस पर जनता का नेता बनने का शौक ! इस वजह से समस्या का अंत होता दिखता नहीं है, कुछ जादू ही हो जाए तो बात कुछ और हो ! 

खैर, एक चीज तो इस मोहल्ले के वासी कर ही सकते हैं, जो इस देश में अभी खूब प्रचलन में है - नाम बदलने का। मोहल्ले का नाम ' गंदा नाला' कर दिया जाए .... एक बड़ा सा बोर्ड हाइवे पर ही लगा दिया जाए नए नाम का !

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