Monday, August 03, 2020

राखी का उपहार

"दीदी, अब
अपने दूसरे घर की
नींव की ईंट हो तुम तो
तुम्हारी नई दुनिया में भी
होंगी कहीं हमारी खोयी हुई गेंदें
होंगे कहीं हमारे पतंग और खिलौने..."

यह पंक्ति कवि उदय प्रकाश की कविता 'नींव की ईंट हो तुम दीदी' की है। इस कविता को पढ़ते हुए लगता है कि यह हम सभी के घर की कहानी है। 

दिल्ली में नौकरी के दिनों में लाडो सराय में जहां मेरा कमरा था , उसकी बालकनी के ठीक सामने एक  पुराना नीम का पेड़ था। इस पेड़ पर खूब चिड़िया आती थी। आज यह सब लिखते हुए मन पूर्णिया से दिल्ली की तरफ भाग गया है। राखी के दिन मन वहां भाग ही जाता है, दीदी सब उसी बड़े शहर में अब बस गई हैं। राखी के दिन हम पहुंच जाते दीदी के घर , बड़ा अच्छा रूटीन होता था राखी के दिन। अब तो राखी के दिन दिल्ली दूर लगती है। लेकिन आज राखी के दिन मन यात्रा कर रहा है। 

वहीं इन सबके बीच मेरे जिला में आज राखी के दिन गाम - घर में शौचालय निर्माण को लेकर एक सुंदर शुरुआत हुई है, बहन को उपहार में शौचालय दिया जा रहा है। पूर्णिया के जिलाधिकारी राहुल कुमार की इस पहल की आज हर कोई चर्चा कर रहा है, वे अक्सर प्रयोग करते रहते हैं।
राहुल कुमार की पहल पर जिला के सभी 246 पंचायतों में दस-दस शौचालयों का निर्माण किया गया। इस पहल की शुरुआत 29 जुलाई को हुई थी और उस दिन जिला के हर पंचायत में शौचालय के लिए आवेदन देने वाले दस महिला लाभुकों को चिह्नित किया गया था। आज राखी के दिन उन्हीं महिला लाभुकों उपहार में शौचालय दिया जा रहा है।

पूर्णिया के जिलाधिकारी राहुल  कुमार ने आज रूपौली प्रखंड में राखी बंधवाया और शौचालय उपहार में देकर अपना वादा निभाया। यह पहल कई मायने में महत्वपूर्ण है। इस कठिन दौर में इस तरह के कदम से हम सभी को ऊर्जा मिलती है कि हमें अपने स्तर पर कुछ न कुछ सकारात्मक करते रहना चाहिए।
वैसे यह कटु सत्य है कि ग्रामीण समाज शौचालय को लेकर गंभीर नहीं है। सरकारी आंकड़ों पर लंबी बहस हो सकती है, लेकिन ग्राउंड जीरो कुछ और कहता है। गांव-देहात में मोबाइल और महंगी बाइक आपको हर जगह मिल जाएंगी, लेकिन क्या शौचालय दिखते हैं? यह बड़ा सवाल है। 

हमें स्वास्थ्य के प्रति अब जागरूक होना होगा। शौचालय निर्माण को लेकर हम अपने स्तर पर भी यह काम कर सकते हैं।  ऋण लेकर हम खेती कर सकते हैं, मोटर साइकिल, ऑटो-रिक्शा या ट्रेक्टर ख़रीद सकते हैं तो फिर शौचालय को हम प्राथमिकता क्यों नहीं दे रहे हैं, यह हम सभी को अपने आसपास के लोगों से पूछना होगा, इस राखी आईए हम गांव घर में शौचालय निर्माण को लेकर सवाल करते हैं, लोगों से बातचीत करते हैं। एक - एक ईंट जोड़कर शौचालय बनवाते हैं।

2 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

बढ़िया।

rajeev said...

सुंदर लेखनी और सराहनीय पहल ।