Sunday, January 30, 2011

ऩेता look



वह जो चुनाव में जीतकर लोकसभा और विधानसभा पहुंचता है, कैसा दिखता है? वह जो राज्य और देश की राजधानी चुनाव जीतकर पहुंचता है, कैसी पोशाक पहनता है? इन सवालों के पीछे मेरे मन का फैशन कैटेगरी है, जो अभी क्लिक-क्लिक कर रहा है। राहुल गांधी जब चकचक सफेद कुर्ते पायजामे पर बंडी लगाते हैं और स्पोर्ट शू पहनते हैं तो नेता लुक की एक नई स्क्रीप्ट हमारे सामने आ जाती है। वहीं जब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी किसी एमएनसी के सीईओ की तरह कोर्ट-पेंट पहनते हैं और हैट लगाते हैं, तो पता चलता है कि पॉलिटिकल ड्रेस ट्रेंड किस कदर बदलाव की नई कहानी गढ़ रहा है। आखिर नेताओं ने अपने-अपने चोले को बदलने की क्यों सोची? यह सवाल कई मायनों में राजनीति में फैशन के चलन की ओर इशारा कर रही है।

 वैसे राजनीति में नेताओं के लुक को बदलने में यदि किसी का नाम सबसे पहले जेहन में आता है तो वे हैं राजीव गांधी। पायजामा-कुर्ता या जिंस कुर्ता, उस पे बॉमर जैकेट। वे अक्सर लोटो (Lotto) कंपनी के स्पोर्ट शू पहना करते थे। राजीव गांधी के ड्रेस सेंस ने एक नए पॉलिटिकल सिम्बोलिज्म को जन्म दिया। जैसे-जैसे इलेक्ट्रोनिक मीडिया का प्रसार बढ़ता जा रहा है, या यूं कहें कि 24x7 न्यूज चैनलों की पहुंच बढ़ती जा रही है, नेता भी उसी तेजी से ड्रेस को लेकर जागरूक (अवेयर) होने लगे हैं। ऐसा लगता है मानो चैनल ही खेल के नियम (रूल्स ऑफ गेम) बनाने लगे हैं। दरअसल लाइव टेलिकास्ट के दौरान लोग अपनी जुबान के साथ-साथ पहनावे पर विशेष ध्यान देने लगते हैं।


नेताओं के पोशाक पर जब आप सोचने लगते हैं तो कुछ फिल्में भी आंखों के सामने आने लगती हैं। प्रकाश झा को तो राजनीति संबंधी मुद्दों को सिल्वर स्क्रीन पर ढालने में महारत हासिल है। फिल्म राजनीति इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। मैं व्यक्तिगत तौर पर फिल्म राजनीति को अभिनेता मनोज वाजपेयी के किरदार औऱ उसके ड्रेस सेंस के लिए याद रखूंगा। मनोज के चश्मे, मूंछ का स्टाइल, सबकुछ निराला। 

दरअसल नेताओं के लुक में आए बड़े बदलावों के पीछे बदलता मानस भी है। आपको लोग तभी देखेंगे, जब आप सलीके में नजर आएंगे, इसी दर्शन को नेता आत्मसात कर रहे हैं। जरा पटना की याद ताजा करें, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को देखिए। कुर्ते पायजामे में भी वे हमें स्टाइल मारते नजर आते हैं। मेरी नजर में यही है नेता Look.

4 comments:

  1. रंग बदलने से कुछ होने वाला है !

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  2. नहीं काजल भैया, कुछ होने वाला तो नहीं लेकिन का करिएगा, इ जमाना तो ब्राडिंग है न।

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  3. नेताओं की भीड़ में सबसे अलग दिखने के लिए आज कल नेता अपने लुक का ही सहारा लेते हैं...काम करके अब कौन अपनी पहचान बनाता है...
    नीरज

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  4. ...सियार, सियार ही रहते हैं :)

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