
ओबामा को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चुने जाने की घोषणा के बाद वाशिंगटन के एक पत्रकार डेनियल की प्रतिक्रिया हमें कई आयामों पर सोचने के लिए मजबूर करती है। डेनियल कहते हैं कि ओबामा को नोबेल शांति पुरस्कार देना ठीक वैसे ही जैसे किसी ऐसे निर्देशक को ऑस्कर पुरस्कार देना, जिसने कोई फिल्म ही निर्देशित नहीं की हो।
टेलीविजन चैनल पर कोई बोल रहा था- अभी व्हाइट हाउस पधारे इस शख्स को आठ महीने ही हुए हैं और इन्हें नोबेल का पुरस्कार थमा दिया गया.. । डेनियल की प्रतिक्रिया इसी से संबंधित है।
खुद ओबामा ने कहा, मैं खुश भी हूं और अंचभित भी..मुझे आज सुबह मेरी बेटी ने कहा- डैडी आपने नोबेल जीत लिया..।
अफगानिस्तान में शुक्रवार को तालिबान ने नोबेल समिति की घोषणा के बाद कहा कि ओबामा को युद्ध के लिए यह पुरस्कार दिया गया..। तालिबान के इस बयान ने कई सवालों को जन्म दे दिया है।
मीडिया को संबोधित करते हुए ओबामा भी गंभीर दिख रहे थे। शायद पुरस्कार के लिए चुने जाने की खबर से वे भीतर से सहमे भी होंगे। अहिंसक आंदोलन चलाने वाले गांधी को आदर्श और उनके साथ समय बिताने की इच्छा जताने वाले ओबामा शायद खुद भी शांति के लिए पुरस्कार दिए जाने की घोषणा से अपनी रणनीतियों पर विचार करने लगे होंगे (आशंका ही है)।
विश्व के सबसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति, जो अफगानिस्तान में गोलियों की भाषा बोलता है, जो पाकिस्तान के वजीरिस्तान जैसे कबायली इलाकों में ड्रोन हमले करता है, उसे शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना जाना विवाद का ही दूसरा नाम होगा। एक समाचार चैनल ने सवाल पूछा कि क्या जल्दबाजी में ओबामा को नोबेल पुरस्कार दिया गया..? तो कुछ अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि ओबामा ने अमेरिका की छवि बदलने की कोशिश की है, इसी वजह से उन्हें इस पुरस्कार के लिए चुना गया है।
यह पुरस्कार हासिल करने वाले ओबामा अमेरिका के चौथे राष्ट्रपति हैं। 205 नोमिनी में से ओबामा को चुना गया। तो क्या दिसंबर में इस पुरस्कार को हासिल करने के बाद ओबामा अफगानिस्तान से सेना वापस कर लेंगे.? पता नहीं लेकिन उनके प्रशासन के लोग तो उन्हें प्रो-एक्टिव मैन कहते हैं। एक समाचार चैनल पर एंकर सवाल पूछता है- क्या ओबामा होलब्रुक और हिलेरी साल भर में दुनिया को बदल देंगे.और हर जगह शांति स्थापित हो जाएगी.?
एक तरफ समाचार चैनलों पर ओबामा से जुड़ी तमाम खबरें चल रही थी वहीं भोजपुरी चैनल महुआ पर सुर संग्राम जारी था, जहां शांति के लिए नहीं बल्कि सुर के लिए लोग जीत हासिल करते हैं। भोजपुरी की कम समझ के बाबजूद उसके शब्दों से खास लगाव रखता हूं। कार्यक्रम में प्रतिभागी बिरहा गा रहा था..गाने का भाव था कि परदेश में रहने वाला लोगों को घर वापस आ जाना चाहिए क्योंकि जिंदगी के सुख-दुख का स्वाद अपने लोगों के साथ ही अच्छा लगता है।
अपने देश मे पुरस्कारों की बंदरबांट का व्यापक असर हो रहा है लगता है।
ReplyDeleteHi grindra
ReplyDeleteThanks,
BEST THINK, GOOD TOPIC AND WELL WRITING.
APNE KALM KO AISE HI CHALATE RAHNA
यह संयोग ही था कि जब मैं आपके ब्लाग पर मोहन राणा की कविता अमेरिका के पांव दबाए जा रहे हैं पढ़ रहा था तभी ओबामा को नोबेल का शांति पुरस्कार देने का समाचार इंटरनेट पर आ रहा था। सचमुच इस समाचार ने हरेक को चौंकाया है। होली पर प्रसारित होने वाली मजाकिया खबरों की याद ताजा हो आई। कभी लगा कि दलाईलामा से मिलने से मना करने के एवज में यह पुरस्कार दिया गया है। मेरी एक सहयोगी को उम्मीद थी कि ओबामा विनम्रता से पुरस्कार लेने से मना कर देंगे।
ReplyDeleteअब जो सोचना है हम सोचते रहें।