अभी विनीत का जिक्र करूंगा। ब्लॉगर भाई, लिखाड़ भाई और खूब पढ़ने वाले विनीत कुमार की। इनसे मुलाकात कम ही हुई, लेकिन बात ज्यादा हुई है। ब्लॉग और इससे इतर कई मुद्दों पर बात होती है। मैं इसे सार्थक कहता हूं। कुछ ही देर पहले बात हो रही थी (चैट बाबा) । पूछा नया क्या कर रहे हैं तो उनके जवाब से आश्चर्यचकित रह गया। विनीत ने ढेर सारे काम बताए ॥विभिन्न जगहों के लिए वे लिखने की तैयारी में हैं। मीडिया के विभिन्न रुपकों पर वे लिख रहे हैं। कहा- मार्च के पहले हफ्ते में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में वे छपकर आ जाएंगे।
विनीत मुखर हैं। खुलकर आपके सामने बात को रखेंगे। उनसे बात करते वक्त कई चेहरे मुझे याद आने लगते हैं। आप समझ रहे होंगे बड़े नाम, नहीं जनाब। मुझे अपने गांव के वे लोग याद आ जाते हैं जो बिना लाग-लपेट के आपके सामने अपनी बात रखते हैं। ठीक वैसे ही विनीत कहते हैं।
एक बार विनीत के कमरे पर भी धमका हूं। किताब, बिछावन और टीवी नजर आया। मतलब बिछावन पर किताबों और रिमोट के जरिए वे मीडिया विमर्श कर रहे है। शायद वे कुछ नया करें। मीडिया के रगों पर वे हाथ रख ही चुके हैं। हम तो यही आशा करते हैं कि वे समाज को कुछ नया दें।
जारी है---(अगली बार कोई दूसरा, जो मिला इस शहर में)
5 comments:
काफी अच्छे अनुभव शेयर कर रहे है आप ....इसे जरुर जारी रखें .......निरंतरता बनी रहती है
विनीत जी की बात ही कुछ और हैं।
बहुत बढिया लिखा है.. बधाई और शुभकामनाएं.
गिरीन्द्र जी
विनीत तो विनीत
सादगी और सहजता में
आप भी कम नहीं
पर आप अपनी विनम्रता
सहजता खुद थोड़े न कहेंगे।
चलिये, विनित जी और थोड़ा जाना आपके नजरिये से भी..उन्हें शुभकामनाऐं. आप जारी रहें.
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