Wednesday, February 18, 2009

कुछ लोग एक हो गए

कहीं दूर उस पर ढेर सारे लोग
आरोप लगा रहे हैं,
आरोपों की बारिश कर रहे हैं
वह चुप है
शांत है
मन से गढ़े गए आरोपों से
क्या वह सहमा होगा...
भावनाओं और क्रोध को
रोक पाएगा वह
कहीं दूर उस पर ढेर सारे लोग......
आरोप लगा रहे हैं।
मेरे गांव में भी
एक अच्छा मास्टर था
लोगों को अव्यवस्था से
लड़ना सीखाता था
एक बार
कुछ लोग
एक हो गए
और उस पर ढेले
बरसाने लगे...................................

3 comments:

महेंद्र मिश्र.... said...

बहुत बढ़िया रचना. आभार.

सुशील छौक्कर said...

बहुत खूब लिखा दोस्त। मेरे दिल की बात कह दी।

संगीता पुरी said...

सुंदर रचना...