tag:blogger.com,1999:blog-23741193.post632571772550276027..comments2024-03-27T23:27:13.656+05:30Comments on अनुभव: रात और पेड़- पौधों की बात Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झाhttp://www.blogger.com/profile/12599893252831001833noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-84045314682456822982023-06-15T19:17:28.055+05:302023-06-15T19:17:28.055+05:30दर असल आदमी (मनुष्य) की हालत धान के बिजड़े से भी गई...दर असल आदमी (मनुष्य) की हालत धान के बिजड़े से भी गई-बीती है। यह अपने जीवन में कई बार उखाड़ा और रोपा जाता है। ससुराल जाती लड़की हो या प्रवासी मजदूर, सरकारी नौकर हो या सेना का जवान। ये सब जहां पैदा होते हैं वहाँ जम कहाँ पाते हैं। उदाहरण और भी हैं। बस सोचते जाइए। सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.com