tag:blogger.com,1999:blog-23741193.post568076776478618757..comments2024-03-27T23:27:13.656+05:30Comments on अनुभव: क्या है पटुआ और क्या है संठी बताओ तो जाने...Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झाhttp://www.blogger.com/profile/12599893252831001833noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-46212697858103450742009-04-21T19:04:00.000+05:302009-04-21T19:04:00.000+05:30गिरीन्द्र जी बढ़िया लिखा है आपने...लेकिन साग वाला ...गिरीन्द्र जी बढ़िया लिखा है आपने...लेकिन साग वाला पटुआ आ सन वाला पटुआ एकै नहीं होइत होइत छै शायद....की ?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-25447129619309910892009-03-30T16:10:00.000+05:302009-03-30T16:10:00.000+05:30पटुआ तो ठीक संठी को हमारे हमारे तिरहुत में सिंठी भ...पटुआ तो ठीक संठी को हमारे हमारे तिरहुत में सिंठी भी कहते हैं. कोसी का अनुभव तो ठीक है. भाई, पिछले सितंबर में जब सुपौल गया था तब देखा कि कैसे लोगों के डुबोए पटुए उनके आंखों के सामने सड़ के रेशाहीन हो गए थे. <BR/><BR/>बहुत खूब.Rakesh Kumar Singhhttps://www.blogger.com/profile/09355343165726493984noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-25955839011886806872009-03-29T12:33:00.000+05:302009-03-29T12:33:00.000+05:30संठी का उपयोग दीपावली की शाम हुक्का-पाति खेलने में...संठी का उपयोग दीपावली की शाम हुक्का-पाति खेलने में किया जाता है। कई इलाके में इसे सनसनाठी भी कहा जाता है। और भी बाते हैं।खंभाhttps://www.blogger.com/profile/05429576501658543745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-60304190785913403482009-03-28T18:34:00.000+05:302009-03-28T18:34:00.000+05:30वाह !!! आनंद आ गया.....मैं तो पटुआ संठी देखकर ही र...वाह !!! आनंद आ गया.....मैं तो पटुआ संठी देखकर ही रुक गयी,बिना पढ़े आगे निकलना संभव न रहा...<BR/><BR/> बहुत बचपन में पटुआ का साग खाया था....पता नहीं फिर कभी खाने का अवसर मिलेगा या नहीं...गाँव में जो मटर का साग खाया था,उसका स्वाद आज भी मुंह में बसा हुआ है...पर यहाँ तो यह सब दुर्लभ है....तरसते ही रह जाना पड़ता है इन सब के लिए....<BR/><BR/>बड़ा ही अच्छा काम कर रहे हैं आप आंचलिक शब्दों से सबको परिचित कराकर.......रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-10299336766656214922009-03-28T13:10:00.000+05:302009-03-28T13:10:00.000+05:30जमाए रहो,एक-एक शब्द के साथ आंचलिकता के प्रति जिद्द...जमाए रहो,एक-एक शब्द के साथ आंचलिकता के प्रति जिद्दी लगाव जान पड़ता है।विनीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-21892915669901391782009-03-28T11:40:00.000+05:302009-03-28T11:40:00.000+05:30कमाल की आंचलिकता, कमाल की रपट.कैसे कहूं शुक्रिया.कमाल की आंचलिकता, कमाल की रपट.कैसे कहूं शुक्रिया.विनीत उत्पलhttp://vinitutpal.blogspot.com/noreply@blogger.com