tag:blogger.com,1999:blog-23741193.post6780981462517182287..comments2024-03-27T23:27:13.656+05:30Comments on अनुभव: राह इतनी आसान नहीं थी - 1 Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झाhttp://www.blogger.com/profile/12599893252831001833noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-426215253062055952009-02-07T18:46:00.000+05:302009-02-07T18:46:00.000+05:30सच कहूं गिरि, गांव का तो अपना अनुभव नहीं रहा लेकिन...सच कहूं गिरि, गांव का तो अपना अनुभव नहीं रहा लेकिन घर ही समझो फिलहाल। छूट जाने के बाद घर भी पहले की तरह अपना नहीं लगता। मुझे नहीं लगता कि छूटे हुए गांव की तरफ अब जाओगे तो वो अपनापा महसूस करोगे, जो छुटपन में किया करते थे।विनीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-30978638346527738592009-02-07T17:21:00.000+05:302009-02-07T17:21:00.000+05:30गालिब चचा के शहर में अभी आप सभी से कहाँ मिले है। आ...गालिब चचा के शहर में अभी आप सभी से कहाँ मिले है। आपके अनुभवों की कडियों का आगे इंतजार रहेगा।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-56254183152937724152009-02-07T15:43:00.000+05:302009-02-07T15:43:00.000+05:30बहुत सुंदर....अगली कडियों का इंतजार रहेगा।बहुत सुंदर....अगली कडियों का इंतजार रहेगा।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.com