tag:blogger.com,1999:blog-23741193.post5619311658538033423..comments2024-03-27T23:27:13.656+05:30Comments on अनुभव: 'सर को समझाओ कि सिनेमा अच्छा है, बुझ रहे हो' *Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झाhttp://www.blogger.com/profile/12599893252831001833noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-22667771926831817402011-10-08T22:26:00.965+05:302011-10-08T22:26:00.965+05:30पिछले दिनों 'साहब, बीवी और गैंगस्टर'के शो...पिछले दिनों 'साहब, बीवी और गैंगस्टर'के शो में एक संक्षिप्त मुलाकात हमारी भी हुई थी। देखने से तो अच्छी फिल्म लग रही है। वैसे ये स्टार सिस्टम हमें ना तो समझ आता है, और ना भाता है। होटल का शेफ के खाने में स्वाद होगा, पर ढाबे के खाने का भी तो अपना मजा है। सिनेमा किसी के बाप की बपौती है क्या। यह कला की दुनिया है जो कलाकार होगा वो तवज्जो पाएगा।deepakkibatenhttps://www.blogger.com/profile/14301325134751200493noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-81946763278588104602011-10-03T19:56:18.173+05:302011-10-03T19:56:18.173+05:30खुसरो दरिया प्रेम का, उल्टी वाकी धार/जो उबरा सो डू...खुसरो दरिया प्रेम का, उल्टी वाकी धार/जो उबरा सो डूब गया है, जो डूबा सो पार’। <br /><br />...सच कुछ पाने के लिए खुद ही गहराई में उतरना ही पड़ता है..<br />..शानदार प्रस्तुति..कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.com