tag:blogger.com,1999:blog-23741193.post4133216465992088756..comments2024-03-27T23:27:13.656+05:30Comments on अनुभव: सिगरेटGirindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झाhttp://www.blogger.com/profile/12599893252831001833noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-34650471439499051632009-03-06T20:27:00.000+05:302009-03-06T20:27:00.000+05:30पहले भी पढ़ी है ओर मेरी पसंदीदा नज़मो में से एक हैपहले भी पढ़ी है ओर मेरी पसंदीदा नज़मो में से एक हैडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-33854020099100253422009-03-06T19:55:00.000+05:302009-03-06T19:55:00.000+05:30सिगरेट पीने वालों के साथ पूरे एका के बावजूद...यह क...सिगरेट पीने वालों के साथ पूरे एका के बावजूद...<BR/><BR/>यह कविता सिगरेट के बारे में नहीं. धीरे-धीरे जलती (या कहें बुझती) ज़िन्दगी के बारे में है जिसमें सिगरेट सिर्फ़ एक प्रतीक भर है. मुझे याद आता है कि ओरहान पामुक का एक संस्मरण पढ़ा था सिगरेट पर कुछ समय पहले...<BR/><BR/>ठीक इसी तरह ’नो स्मोकिंग’ को भी सिगरेट पीने की आदत से जुड़ी फ़िल्म समझ लिया गया. एक बेहतरीन फ़िल्म अनपहचानी ही निकल गई. वे लोग जिन्हें अब ’देव डी’ के बाद अनुराग पर अथाह लाड़ आ रहा है वे फिर पीछे लौटकर ’नो स्मोकिंग’ देख लें तो कुछ बात बने.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-34455856746836883352009-03-05T20:42:00.000+05:302009-03-05T20:42:00.000+05:30अमृता जी की रचनाओं की तो बात ही कुछ और है। एक बेहत...अमृता जी की रचनाओं की तो बात ही कुछ और है। एक बेहतरीन रचना पढवाने के लिए शुक्रिया।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-64422070673123078082009-03-05T10:48:00.000+05:302009-03-05T10:48:00.000+05:30तो अब शुरू कर रहे हैं सिगरेट पीना।तो अब शुरू कर रहे हैं सिगरेट पीना।222222222222https://www.blogger.com/profile/03001125920425180811noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-61162372535777529322009-03-05T10:15:00.000+05:302009-03-05T10:15:00.000+05:30अमृता प्रीतम की कविताओं का क्या कहना. बहुत आभार पे...अमृता प्रीतम की कविताओं का क्या कहना. बहुत आभार पेश करने के लिए.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-85507592472487362752009-03-05T09:55:00.000+05:302009-03-05T09:55:00.000+05:30मुझे जहां तक याद है, सिगरेट पर काशीनाथ सिंह का दिल...मुझे जहां तक याद है, सिगरेट पर काशीनाथ सिंह का दिलचस्प संस्करण है औऱ नामवर सिंह की टिप्पणी कि तुमने बीड़ी क्यों लिखा वो तो बुझ जाती है, देर तक फूंक न मारो तो, कश न लगाओ तो, सिगरेट जलती रहती है। <BR/>बाकी कैंपस में सिकरेट बैन हो गया है, अच्छा किए कविता के जरिए लोगों का एहसास बना रहेगाविनीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.com