tag:blogger.com,1999:blog-23741193.post3076770940045235038..comments2024-03-27T23:27:13.656+05:30Comments on अनुभव: किसान का बेटा होने का मतलबGirindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झाhttp://www.blogger.com/profile/12599893252831001833noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-23023358194918611732011-12-28T20:21:56.995+05:302011-12-28T20:21:56.995+05:30रोचक लगा जी मिथाल्चल के गाँव दिहात के गीतों का संग...रोचक लगा जी मिथाल्चल के गाँव दिहात के गीतों का संग.दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-30101478895035431792009-03-27T11:07:00.000+05:302009-03-27T11:07:00.000+05:30ठीके जा रहे हो भाई. अब शब्दकोष तैयार हो ही जाएगा....ठीके जा रहे हो भाई. अब शब्दकोष तैयार हो ही जाएगा. तनी-मनी मदद एन्ने से हमहूं कर देंगे. :)Rakesh Kumar Singhhttps://www.blogger.com/profile/09355343165726493984noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-25218505149290396982009-03-25T00:18:00.000+05:302009-03-25T00:18:00.000+05:30बहुत अच्छा लगा यह आलेख ... किसान के बेटे को जो मा...बहुत अच्छा लगा यह आलेख ... किसान के बेटे को जो मालूम होता है ... वह भला शहरी बाबू को कहां से मालूम होगा ?संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-80575109279295660762009-03-24T19:38:00.000+05:302009-03-24T19:38:00.000+05:30एक विकल्प न लोगों के लिए जो किसान पुत्र नहीं हैं ल...एक विकल्प न लोगों के लिए जो किसान पुत्र नहीं हैं लेकिन जिनका मन ये सब जानने को होता है- रेणु को पढ़े, फणीश्वरनाथ रेणु को। लगेगा कि गांव को ट्रेन की सीट पर बैठकर नहीं बल्कि उसकी पगडंडियों से होकर गुजर रहे हैं।विनीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-20182240367010085342009-03-24T13:02:00.000+05:302009-03-24T13:02:00.000+05:30गिरीन्द्र भाई बहुत खूब , सच बात है कि यह सब वही जा...गिरीन्द्र भाई बहुत खूब , सच बात है कि यह सब वही जान सकता है को उस परिवेश में रहा हो । कितना आनंद मिलता है ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-5458161825021874382009-03-24T12:22:00.000+05:302009-03-24T12:22:00.000+05:30किसान होने का मतलब वही समझ सकता है, जिसने खेतों मे...किसान होने का मतलब वही समझ सकता है, जिसने खेतों में चिलचिलाती धूप के बीच हाड तोड मेहनत की हो।Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-89399309331752211362009-03-24T11:17:00.000+05:302009-03-24T11:17:00.000+05:30बहुत रोचक लेख है। हर प्रान्त के ग्रामीण जीवन के अप...बहुत रोचक लेख है। हर प्रान्त के ग्रामीण जीवन के अपने ही शब्द होते हैं। मुझे पंजाब के कुछ शब्द याद आ रहे हैं, शायद कुछ गल्तियाँ भी हों। गाय भैंस के खाने के लिए खेतों में एक फसल बरसीन की बोई जाती है, गायों को झुंड में चराने को ले जाया जाता है, इस झुंड को चौना कहते हैं। आंचलिक शब्द होने से उनका उपयोग कहीं और नहीं हो पाता।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-40067535077947090192009-03-24T10:48:00.000+05:302009-03-24T10:48:00.000+05:30मैं क्या मेरे सात पीढ़ी के लोगों ने कभी खेती नहीं ...मैं क्या मेरे सात पीढ़ी के लोगों ने कभी खेती नहीं की लेकिन मुझे कुछ-कुछ शब्द अपनी बुआ के यहां सुनने को मिलते,उनके यहां खेती होती है। खेती भी कैसी, उसकी तारीफ में मां बताती है कि एक जमाना रहा जब फूफा के खेत के बैंगन,टमाटर और लौकी को खाद,बीज,कीटनाशक वाली कंपनियां फोटो घिचने आती। उसी में एक शब्द सुनता था, अगोरना। मेरे फुफेरे भाई कहा करते- खेत अगोरने जा रहे हैं। अगोरना माने रखवाली करना।विनीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.com