tag:blogger.com,1999:blog-23741193.post116901611312945300..comments2024-03-27T23:27:13.656+05:30Comments on अनुभव: मैने पढा था,परखना मत परखने से कोई अपना नही रहता.Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झाhttp://www.blogger.com/profile/12599893252831001833noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-1169622457056487342007-01-24T12:37:00.002+05:302007-01-24T12:37:00.002+05:30गिरीन्द्र जी ।तपते रेगिस्तान में...पानी झलक रहा था...गिरीन्द्र जी ।<BR/>तपते रेगिस्तान में...<BR/>पानी झलक रहा था<BR/>मैं प्यासा जब पास गया<BR/>तो बस रेत नजर आयी...<BR/>बचपन में 'मृगमरीचिका'सुना था<BR/>और आज...<BR/>खुद आ फंसा हूं।<BR/> --- विजयAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-1169622450528428642007-01-24T12:37:00.001+05:302007-01-24T12:37:00.001+05:30गिरीन्द्र जी ।तपते रेगिस्तान में...पानी झलक रहा था...गिरीन्द्र जी ।<BR/>तपते रेगिस्तान में...<BR/>पानी झलक रहा था<BR/>मैं प्यासा जब पास गया<BR/>तो बस रेत नजर आयी...<BR/>बचपन में 'मृगमरीचिका'सुना था<BR/>और आज...<BR/>खुद आ फंसा हूं।<BR/> --- विजयAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-1169622443520620742007-01-24T12:37:00.000+05:302007-01-24T12:37:00.000+05:30गिरीन्द्र जी ।तपते रेगिस्तान में...पानी झलक रहा था...गिरीन्द्र जी ।<BR/>तपते रेगिस्तान में...<BR/>पानी झलक रहा था<BR/>मैं प्यासा जब पास गया<BR/>तो बस रेत नजर आयी...<BR/>बचपन में 'मृगमरीचिका'सुना था<BR/>और आज...<BR/>खुद आ फंसा हूं।<BR/> --- विजयAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-1169039880752354062007-01-17T18:48:00.000+05:302007-01-17T18:48:00.000+05:30मनोभावों को बखूबी उकेरा है.मनोभावों को बखूबी उकेरा है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-1169036647544850812007-01-17T17:54:00.000+05:302007-01-17T17:54:00.000+05:30बहुत सुंदर भाई ...वैसे भी हर इंसान कवि होता है...क...बहुत सुंदर भाई ...वैसे भी हर इंसान कवि होता है<BR/>...कविता सीखी नहीं जाती....वो तो दिन पर दिन लिखते-लिखते स्वयं निखरती है ।<BR/><BR/>बधाई !!<BR/><BR/>रीतेश गुप्ताAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-1169030664582867302007-01-17T16:14:00.000+05:302007-01-17T16:14:00.000+05:30पहले शिल्पी महोदय...को..कविता मात्रतुक्बंदियों का ...पहले शिल्पी महोदय...को..कविता मात्र<BR/>तुक्बंदियों का भावनात्मक वेग नहीं है..<BR/>कविता मात्र एक लय है जो मनोभावनाओं <BR/>से होकर गुजरती है...अत्यंत भावुक है भाई.. <BR/>keep it up...it reveals a suppressed<BR/>sound of today's students.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-1169028262393033442007-01-17T15:34:00.000+05:302007-01-17T15:34:00.000+05:30भाई, लेकिन मैं तो आपको पूछता हूं... आपके बेहतर भवि...भाई, लेकिन मैं तो आपको पूछता हूं... आपके बेहतर भविष्य की उम्मीदों के साथ हूं...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-1169027611184120452007-01-17T15:23:00.000+05:302007-01-17T15:23:00.000+05:30भले ही सपाट कथन हो या कविता हो, आपका लिखा दिल को छ...भले ही सपाट कथन हो या कविता हो, आपका लिखा दिल को छूता है।Pratik Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02460951237076464140noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23741193.post-1169023114116803502007-01-17T14:08:00.000+05:302007-01-17T14:08:00.000+05:30शायद यह आपबीती है। यदि नहीं है तब भी बेरोजगार युवक...शायद यह आपबीती है। यदि नहीं है तब भी बेरोजगार युवक की मन:स्थिति को बखूबी बयाँ करती है। लेकिन संवेदना के साथ कविता का तत्व भी कुछ जोड़िए इसमें। सपाट कथन को बीच-बीच से तोड़ देने को कविता नहीं कहते।Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.com