Thursday, March 26, 2009

इश्क और कॉफी

इश्क और कॉफी

इश्क नहीं होता तो आदमी बावरा होता
आदमी सहमा-सहमा डरा सा रहता
फिर कॉफी नहीं होती और न होती इश्क की बातें
ब्लैक कॉफी के संग लंबी बातें न होती
सीपी के कोई कॉफी हाउस में
लोग फिर न पहुंचते और न करते प्यार भरी बातें
एक कप कॉफी में घंटों न बिताते
इश्क न होता तो आदमी बावरा होता
हर वक्त जी भरा सा न होता
फिर आदमी सहमा-सहमा सा डरा सा रहता...
--------------------------------------------
तेरे हाथ

वो हाथ हिलाकर मुझे
अलविदा कह रही थी या फिर
मझे पास बुला रही थी
मैं एकटक उसके हाथों को देख रहा था
वो हाथ हिलाकर मुझे देख रही थी
उस घड़ी को दोहराने की चाहत
जैसे जाग रही है
कल रास्ते में जब चांद को ऱखा देखा
तो फिर वो हाथ हिलाते दिख गई
वक्त पर कभी पांव ऱखा ही नहीं
और, उसके हाथ कब
आंखों से ओझल हो गई
पता ही नहीं चला और कब
जिंदगी मुंह के बल गिर गई
पता ही नहीं चला....
----------------------------------------------
आज यहां होते तो.....

आप आज गर यहां होते
हम आपको कुछ याद दिलाते
वक्त अभी नहीं गुजरा
आप आ जाते तो कुछ याद दिलाते
टेबल पर आज भी वह किताब
जिसके पन्नों में आपने रखे थे फूलों की पत्तियां
आप आज गर यहां होते
हम आपको कुछ याद दिलाते
रात भर जागकर मोमबत्ती की जोत में
हमने जो लिखा था आपके लिए,
वह आज आपको पढ़कर सुनाते
आप आज गर यहां होते
फिर सोचता हूं, गर आप यहां होते
तो हमारे पांव जमीन पर कहां होते

7 comments:

  1. हर नज़्म बहुत ही बेहतरीन है मेरे भाई

    मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  2. आज से ये कहना बंद-
    इश्क ने हमें निकम्मा बना दिया, वरना आदमी थे बड़े काम के।
    अब ये कहूंगा-
    इश्क ने ही हमे आदमी बनाया, वरना हम थे ही किस काम के।

    ReplyDelete
  3. itnee masumiyat achhi nahi mere dost ye sab baten kewl p0adhane men achhi lagatee hain

    ReplyDelete
  4. वाह क्या कम्बीनेशन है इश्क और काफी में। बहुत खूब। तीनों को पढकर आनंद आ गया। सोचता हूँ एक काफी का आर्डर मैं भी दे ही दूँ।

    ReplyDelete
  5. इश्क न होता तो आदमी बावरा होता...यह सबसे अधिक पसंद आई ...हर रचना वैसे अपनी बात अपने लफ्जों से कह रही है .

    ReplyDelete
  6. Anonymous1:27 PM

    और, उसके हाथ कब
    आंखों से ओझल हो गई
    पता ही नहीं चला और कब
    जिंदगी मुंह के बल गिर गई
    पता ही नहीं चला....
    waah bahut marmik lines,har nazm vaise alag rang liye,shandar.

    ReplyDelete