Monday, October 27, 2008

दुखी नहीं करना चाहता......बस कहना चाहता हूं....

दीपावली की धूमधाम .....पटाखे, दीप.....डीएनडी से मेडिकल जाते समय में रात में गाड़ियों से पटा रिंग रोड और वाहनों के पिछले हिस्से में गिफ्ट पैक। यह है यहां की दीपावली और जरा हमारे साथ बिहार के कोसी इलाके की ओर चलिए। मधेपुरा, सहरसा, सुपौल जैसे जिलों के राहत शिविरों में। यहां के लोगों ने इस वर्ष कोसी के प्रलय को झेला है। यहां न दीप है न बाती............

अभी भी ९० हजार से अधिक लोग विभिन्न राहत शिविरों में रह रहे हैं ....३,००० से अधिक लोग लापता हैं ....सरकारी आंकड़ो पर ही विश्वास करें तो १९१ लोगों की मौत हो गई.........।

मैं दीपावली के अवसर पर आपको दुखी नहीं करना चाहता हूं.....और सच कहूं तो आंखों में आंसू मैं भी नहीं लाना चाहता। खुश मैं भी रहना चाहता हूं, मां फोन पर कहती है...खुश रहो......।

लेकिन फारबिसगंज के बथनाहा इलाके से मेरे एक किसान दोस्त ने आज फोन किया था और बाढ़ के बाद बिहार पर कई बातें बताई। रौएं खड़े हो गए। फोन रखने से पहले मैथिली में बस उसने यही कहा - हम दिवाली ने मना रहल छी, हमर पड़ोसी क भाए कोसी में दहा गेल रहे, बखारी में किछ ने अछि ....खाए लेल अन्न...बाबू अहीं कहूं केना दीप जरेबे, केना पटाखा फोरबे।

( हम लोग दिपावली नहीं मना रहे हैं। मेर पड़ोसी के भाई को इस वर्ष कोसी लेकर चली गई है। भंडार घर में अन्न नहीं है तो खाएंगे क्या। ऐसे में बस तुम ही कहो कि कैसे दीप जलाउं और कैसे पटाखे में आग लगाउं......)

6 comments:

  1. दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ...
    दीवाली आप और आप के परिवार के लिए सर्वांग समृद्धि लाए।

    ReplyDelete
  2. यह हमारे लिए बडी ही दुखद बात हैं। आज भी दो भारत है इस हिन्दुस्तान में। उस मंजर को भी बताओ जो लोगों नही देखा। जिसे कोई देखना नही चाहता पर कोई तो पहल करो। ये आँखे नम करने की बात नही है ये तो अपने पर शर्म करने की बात है। कि हमें चंद दिन पहले घटी घटना को इतनी जल्दी भूल गए।

    ReplyDelete
  3. शुभकामनाऐं तो ले ही सकते हैं मित्र.

    दीपावली के इस शुभ अवसर पर आप और आपके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

    ReplyDelete
  4. बहुत दुखद स्थित‍ि है उन बेचारों की। सही है , जब खाना भी नसीब न हो , तो उनके लिए क्‍या दीवाली और क्‍या छठ। आपके पूरे परिवार और मित्रगण सहित आपको भी परम मंगलमय त्‍यौहार दीपावलि की बहुत बहुत शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  5. आपने सही ही शुरू में माफी मांग ली कि दुखी नहीं करना चाहता। पूंजी के नंगे दौर में दूसरों के दुखों की छोड़िए, अपने दुख से ही लोगों का कोई रिश्ता नहीं है

    ReplyDelete