Friday, January 19, 2007

कन्हैयालाल नंदन की ग़ज़लें- दिल से गहरा न कोई समंदर मिला

कन्हैया लाल नंदन साहित्य के जाने पहचाने नाम है, उनकी गजलो को बीबीसी मे पढ्ने को मिला. उसी को यहां प्र्स्तुत कर रहा हुं.
गिरीन्द्र


कन्हैयालाल नंदन की ग़ज़लें

एक
अपनी महफ़िल से ऐसे न टालो मुझे
मैं तुम्हारा हूँ, तुम तो संभालो मुझे.
ज़िंदगी! सब तुम्हारे भरम जी लिए
हो सके तो भरम से निकालो मुझे.
मोतियों के सिवा कुछ नहीं पाओगे
जितना जी चाहे उतना खँगालो मुझे.
मैं तो एहसास की एक कंदील हूँ
जब भी चाहो बुझा लो, जला लो मुझे.
जिस्म तो ख़्वाब है,
कल को मिट जाएगा
रूह कहने लगी है, बचा लो मुझे.
फूल बन कर खिलूँगा,
बिखर जाऊँगा
ख़ुशबुओं की तरह से बसा लो मुझे.
दिल से गहरा न कोई समंदर मिला
देखना हो तो अपना बना लो मुझे
****
दो
हर सुबह को कोई दोपहर चाहिए
मैं परिंदा हूँ उड़ने को पर चाहिए.
मैंने माँगी दुआएँ, दुआएँ मिली
उन दुआओं का मुझ पे असर चाहिए.
जिसमें रहकर सुकूँ से गुज़ारा करूँ
मुझको एहसास का ऐसा घर चाहिए.
ज़िंदगी चाहिए मुझको
मानी भरी चाहे कितनी भी हो मुख़्तसर चाहिए.
लाख उसको अमल में न लाऊँ
कभी शानो-शौकत का सामाँ मगर चाहिए.
जब मुसीबत पड़े और भारी पड़ेतो कहीं एक तो चश्मेतर चाहिए.

(ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में डायलिसिस कराते हुए)
*****
तीन
जो कुछ तेरे नाम लिखा है,
लिक्खा दाने-दाने में वह तो तुझे मिलेगा,
चाहे रक्खा हो तहखाने में.

तूने इक फ़रियाद लगाई उसने हफ्ता भर माँगा
कितने हफ्ते और लगेंगे उस हफ्ते के आने में.
एक दिए की ज़िद है आँधी में भी जलते रहने की
हमदर्दी हो तो फिर हिस्सेदारी करो बचाने में.
आँसू आए देख टूटता छप्पर दीवारो-दर को
आख़िर घर था, बरसों लग जाते हैं उसे बनाने में.
कुछ तो सोचो रोज़ वहीं क्यों जाकर मरना होता है
शाम की कुछ तो साज़िश होगी सूरज तुम्हें दबाने में.
जाकर तूफ़ानों से कह दो जितना चाहें तेज़ चलें
कश्ती को अभ्यास हो गया लहरों से लड़ जाने में.
कौन मुहब्बत के चक्कर में पड़े बुरी शै है यारो!
मेरे दोस्त पड़े थे, सदियों मारे फिर ज़माने में.
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5 comments:

  1. Anonymous8:05 PM

    बढि़या है! नंदन जी के बारे में और कवितायें तथा लेख यहां पढ़ें:-http://hindini.com/fursatiya/?p=151

    http://hindini.com/fursatiya/?p=152

    http://hindini.com/fursatiya/?p=153

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  2. Anonymous10:48 PM

    Maine padha hi itna kam hai, ki Nandan ji ka naam nahi suna kabhi....Par aj inhe padh kar laga ki ab tak koi gajal padhi kyun nahi inki., thanks boss.

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  3. Anonymous11:11 PM

    बहुत खूब्सुरत भावपूर्ण गज़लें है.. इन्हें यहान पोस्ट करने के लिये शुक्रिया....

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  4. Anonymous7:06 AM

    साधुवाद, नन्दन जी को यहाँ लाने के लिये.

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  5. Anonymous2:47 PM

    बहुत सुंदर रचना को तुमने प्रस्तुत किया है,आशा है तुम
    इसी तरह और कालजयी रचनाओं को लाओगे…

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